देहरादून।
त्रिवेंद्र सरकार की चार साल की उपलब्धियों को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की खुली बहस की भाजपा को दी चुनौती का ममला गरमा गया है। सिसोदिया ने बुधवार को ट्वीट किया कि वह 2,3 और 4 जनवरी को वह उपलब्ध हैं, मदन कौशिक जी कभी भी उनको चर्चा के लिए बुला सकते हैं। इस ट्वीट के बाद भाजपा में हलचल तेज हो गई है। वहीं, पहले बहस के तैयार दिख रहे उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक अब बैकफुट पर आ गए हैं।
सिसोदिया की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दी बहस की चुनौती पर मदन कौशिक ने दम भरा था कि वह किसी भी बहस के लिए तैयार हैं। इसके बाद सिसोदिया ने बयान जारी किया कि मदन कौशिक तिथि और समय बताएं। तो कौशिक की तरफ से चुप्पी साध ली गई। अब सिसोदिया के ताजा ट्वीट के बाद कौशिक टिप्पणी करने से बच रहे हैं। दरअसल, आप के नेता सिसोदिया ने कहा था कि पिछले चार साल में सरकार ने कोई काम ही नहीं किया। अगर कोई उल्लेखनीय काम किया है तो बताएं। वह सरकार से खुली बहस के लिए तैयार हैं। सिसोदिया का चला दांव अब बिल्कुल सही बैठता दिख रहा है। भाजपा के नेता सरकार के कामकाज और उपलब्धियाँ गिनाने के बजाए आप को कोसने में लगे हैं।
उधर, इस मसले में मदन कौशिक के लिए सिसोदिया को दी चुनौती उनके गले की फांस बनती जा रही है। कौशिक के पास भले आप पर पलटवार करने का बेहतर अवसर है, लेकिन वह सिसोदिया के सामने मंच साझा करने से बच रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि अगर भाजपा नेतृत्व ने आप के हमलों का और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के कामकाज पर उठाये सवालों पर पक्ष स्पष्ट नहीं किया तो आम आदमी पार्टी इसका सियासी फायदा लेने से नहीं चूकेगी। वहीं सिसोदिया भी अपने अगले तीन दिवसीय दौरे में इस मुद्दे पर सरकार को फिर घेरेंगे। और इस बार उनका हमला और धारदार होगा। उनकी रणनीति रहेगी कि भाजपा पर दवाब बनाया जाए कि वह उनके उठाये सवालों का जवाब दे।
कौशिक फिलहाल तो राहत महसूस कर सकते हैं, लेकिन सिसोदिया के उत्तराखंड आते ही उनके खिलाफ आप कार्यकर्ता बड़ी मुहिम छेड़ सकते हैं। इसका कौशिक को व्यक्तिगत नुकसान भले कम हो, लेकिन यह मामला सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।