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DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 15 Jul 2022 9:00 am IST


Haridwar: सावन में सबसे अधिक होती है नशे की तस्करी


श्रावण माह में धर्मनगरी में नशे के तस्कर भी सक्रिय हो जाते हैं। गलियों से लेकर घाटों तक गांजा, चरस और स्मैक की बिक्री बढ़ जाती है। धर्मनगरी में असम, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से चरस, गांजा और अफीम की तस्करी होती है। पुलिस धरपकड़ करती है, बावजूद बिक्री नहीं रुकती है।



कोरोनाकाल के चलते दो साल से कांवड़ यात्रा बंद रही। लेकिन इस साल कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही नशा तस्करों ने तस्करी शुरू कर दी है। बिहार और बंगाल से आने वाले गांजा की खपत रोडीबेलवाला, हरकी पैड़ी, खड़खड़ी, चंडीघाट मलिन बस्ती में सबसे अधिक है। चरस और गांजा की पुड़िया महिलाएं और बच्चे बेचते हैं। घाटों पर साधु वेशधारी फक्कड़ भी नशे की तस्करी में अहम भूमिका निभाते हैं। 

अठन्नी-चवन्नी होता है कोड वर्ड 

धर्मनगरी में चवन्नी, अठन्नी और रुपया गांजा के लिए कोड वर्ड के रूप में इस्तेमाल होता है। उड़ीसा, असम, आंध्रप्रदेेश में एक किलो गांजा की कीमत 30 से 40 रुपये होती है, लेकिन हरिद्वार पहुंचते ही इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है। 

मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों का कड़ी नजर रखी जा रही है। नगर कोतवाली पुलिस ने हाल ही में बड़ी खेप पकड़ी थी। कांवड़ यात्रा में किसी प्रकार का मादक पदार्थ नहीं बिकने दिया जाएगा।