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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 14 Sep 2022 12:00 pm IST


बागेश्वर गठन के 25 साल बाद भी पर्यटन विकास को नही लग सके पंख !


बागेश्वर : बागनाथ, बैजनाथ जैसे पौराणिक धाम, पिंडारी, कफनी, सुंदरढूंगा जैसे ग्लेशियर, ट्रेल जैसा दर्रा, पवित्र सरयू नदी का उद्गमस्थल सहस्त्रधारा यह सब बागेश्वर की थाती हैं। पर्यटन विकास के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है लेकिन नीति नियंताओं को इन धामों, ग्लेशियरों, सहस्त्रधारा में पर्यटन की संभावना शायद नहीं दिखाई देती। यही कारण है कि जिला गठन के 25 साल बीतने के बाद भी बागेश्वर में धार्मिक और साहसिक को पंख नहीं लग सके हैं।बागेश्वर में बागनाथ, बैजनाथ धाम के साथ ही पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थलों की भरमार है। कोट भ्रामरी, बदियाकोट का आदि बद्री धाम, भद्रकाली, कांडा का महाकाली मंदिर, धौलीनाग जैसे धाम यहां की पहचान हैं। कत्यूरी शासनकाल में बने बागनाथ, बैजनाथ धाम स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने हैं। वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिरों को पुरातत्व और संस्कृति विभाग ने अपने संरक्षण में लिया है लेकिन धार्मिक, साहसिक पर्यटन की अपार संभावना के बाद भी पर्यटन नहीं बढ़ पा रहा है।हिमालय से निकलने वाली सरयू गंगा का उद्गमस्थल भी जिले में है।  सवाल यही है कि हुक्मरानों की नजर इन धार्मिक, साहसिक पर्यटन स्थलों पर कब पड़ेगी?