हरिद्वार। लखनऊ में सिविल कोर्ट के बाहर अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर मौत के घाट उतार दिए गए कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा के गिरोह का हरिद्वार तथा आसपास के क्षेत्र में काफी प्रभाव था। जीवा के गिरोह के यहां प्रॉपर्टी और ट्रेवल्स के कारोबार में काफी गहराई तक जुड़े होने के चर्चे लंबे समय तक बने रहे। हरिद्वार में विवादित संपत्तियों को लेकर हुई हत्याओं में संजीव जीवा का नाम अक्सर आता रहा है। संजीव जीवा की हत्या के बाद हरिद्वार में अपराधियों की गिरोह नए सिरे से होने की भी संभावनाएं बलवती हो गई है ।
संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा 90 के दशक में हरिद्वार में काफी तेजी से सक्रिय हुआ था। यहां कहीं विवादित संपत्तियों में संजीव जीवा का नाम जुड़ा रहा। वर्ष 2000 के आसपास कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भारतेंदु होंडा की हत्या के समय जीवा का नाम बड़ी तेजी से सामने आया था। उस समय हरिद्वार में कुछ बड़े ठेकों को लेकर हत्या किए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद कनखल में एक विवादित संपत्ति को लेकर भी जीवा का नाम काफी तेजी से पुलिस के संज्ञान में आता रहा। इस संपत्ति को लेकर ट्रेवल्स कारोबारी हरवीर सिंह चौधरी की हत्या कर दी गई थी जबकि कनखल निवासी सुभाष सैनी पर दो-तीन बार जानलेवा हमला किया गया था। संयोग से सुभाष सैनी बार-बार बचता रहा सुभाष सैनी के अंदेशे में अमित उर्फ गोल्डी नामक युवा व्यापारी की बदमाशों ने हत्या कर दी थी । उस समय भी संजीव जीवा का नाम सामने आया था। कभी ट्रेवल्स के काम में कभी केबल के काम में तो कभी संपत्तियों के विवाद में जीवा चर्चित रहता था। ज्वालापुर की 56 बीघा जमीन के मामले में भी जीवा का नाम तेजी से उभरा था। बुधवार को लखनऊ में हत्या हो जाने के बाद अब जीवा के गिरोह से जुड़े लोगों में तेजी से हलचल महसूस की जा रही है । साथ ही हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में आपराधिक गिरोह की लामबंदी नए सिरे से होने की संभावनाएं आशंकाएं भी बलवती हो रही है।
राजेश शर्मा