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• Mon, 22 Feb 2021 7:30 am IST


खुद सैलाब में गुम हो गए जान पर खेलकर कई जिंदगियों को बचाने वाले महेंद्र


चमोली- उत्तराखंड के चमोली में ऋषि गंगा के सैलाब में कई जिंदगियों को बचाने वाले महेंद्र रावत खुद सैलाब में खो गए, जिसका आजतक कोई पता नहीं चल पाया है। महेंद्र के मासूम बच्चे, पत्नी और माता-पिता उसके लौटने का इंतजार कर रहे हैं।महेंद्र तपोवन परियोजना में सेफ्टी (सुरक्षा कर्मी) के पद पर कार्यरत थे। सात फरवरी को धौली गंगा में जल प्रलय आते देख महेंद्र बैराज की और दौड़े और वहां काम कर रहे लोगों को सुरक्षित जगहों पर चले जाने के लिए कहा। इसी बीच अचानक बैराज में भारी मलबा आ गया और महेंद्र उसी में कहीं खो गए। महेंद्र का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। जोशीमठ के चौरमी गांव निवासी महेंद्र के माता-पिता, पत्नी और दो मासूम बच्चे आपदा के 15 दिन बाद भी उसके आने की राह देख रहे हैं। महेंद्र से साथ परियोजना में कार्यरत संदीप ने बताया कि आपदा वाले दिन महेंद्र बैराज साइट पर कार्य कर रहे थे। जैसे ही ऋषि गंगा का सैलाब परियोजना की ओर बढ़ने लगा, तो महेंद्र अपनी जिंदगी की परवाह किए बगैर बैराज साइट की ओर दौड़ पड़े। यहां कार्य कर रहे मजदूरों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कहने लगे, लेकिन कुछ ही देर में बैराज मलबे में तब्दील हो गया और महेंद्र सैलाब में कहीं खो गए। अभी तक भी महेंद्र का कोई सुराग नहीं लग पाया है। महेंद्र के अभी तक कुछ पता नहीं चलने से पत्नी और माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।