गंगोत्री धाम में अगले यात्रा सीजन से पूर्व हेलिपैड निर्माण कार्य पूरा होने पर संशय की स्थिति बनी हुई है। कार्यदायी संस्था लोनिवि भटवाड़ी की ओर से प्रस्तावित हेलिपैड निर्माण की भूमि का भू-उपयोग बदलने को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है।
लंबे समय बाद भी इसे स्वीकृति नहीं मिल पायी है। हालांकि अधिकारी प्रस्ताव को स्वीकृति मिलते ही निर्माण पूरा करने की बात कह रहे हैं। बता दें कि गंगोत्री धाम के निकट हेलिपैड निर्माण की डीपीआर को एक साल पूर्व मंजूरी मिली थी। वर्तमान में हर्षिल हेलिपैड से गंगोत्री धाम पहुंचने के लिए करीब 20 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं, वीवीआईपी दौरे के दौरान कई बार यातायात बाधित किए जाने से आम यात्रियों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ती है।
भू-उपयोग बदलने का प्रस्ताव शासनस्तर पर लंबित
ऐसे में धाम के निकट प्रस्तावित हेलिपैड से मात्र दो किमी दूरी तय कर यात्री आसानी से धाम पहुंच सकते हैं। लेकिन पूर्व में प्रस्तावित भूमि पर आ रहे दो पेड़ों को लेकर वन मंजूरी प्रस्ताव के लिए जहां लंबा इंतजार करना पड़ा। अब भू-उपयोग बदलने का प्रस्ताव शासनस्तर पर लंबित है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि उनकी ओर से प्रस्ताव पर आयी आपत्तियों का निस्तारण कर इसे दोबारा भेजा गया है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी के अधिशासी अभियंता अनदीप राणा का कहना है, जहां हेलिपैड निर्माण प्रस्तावित है वह जगह पूर्व में पार्किंग के रूप में प्रयोग हो रही थी। इस कारण पार्किंग से हेलिपैड उपयोग में भू-उपयोग बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही हेलिपैड निर्माण शुरू कराया जाएगा।