देहरादून: देश के चार धामों में से एक हिमालय में बसे भगवान विष्णु के धाम बदरीनाथ में धनतेरस से लेकर दीपावली तक विशेष पूजन का महत्व माना गया है. मंदिर के पुजारी धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में बदरी विशाल की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इसमें खास तौर पर धन-धान्य के देवता कुबेर की विशेष आराधना होती है.धन-धान्य के देवता कुबेर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ बदरीनाथ धाम में विराजमान हैं. भगवान कुबेर के मंदिर को तीन दिन तक सुगंधित फूलों की माला से सजाया जाता है. श्रद्धालुओं के लिए भी यह तीन दिन बेहद खास होते हैं. कहा जाता है कि इन तीन दिनों में बदरीनाथ धाम में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है.धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार भगवान कुबेर रावण के भय से बचने के लिए उत्तर दिशा अलकापुरी में बस गए थे. तभी से भगवान कुबेर की बदरीनाथ धाम में पूजा होती है. मान्यता के अनुसार भगवान कुबेर 6 महीने बदरीनाथ धाम में बाकी के 6 महीने पांडुकेश्वर में निवास करते हैं.बदरीनाथ धाम में भगवान कुबेर की प्रतिमा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ ही विराजमान है. भगवान कुबेर हमेशा से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के साथ ही रहते हैं. ऐसे में धनतेरस के दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह पूजा सुबह से शुरू होकर दीपावली से एक दिन पहले छोटी दीपावली तक चलती है और उसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा और विशेष अनुष्ठान का महत्व है.श्रद्धालु इन तीन दिनों में भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने अधिक संख्या में आते हैं. धनतेरस के दिन सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम का दीप जलाया जाता है. बदरीनाथ धाम में केवल भगवान विष्णु की प्रतिमा ही नहीं बल्कि धाम में भगवान नारद, भगवान उद्धव, माता उर्वशी और कपाट बंद होने पर माता लक्ष्मी उनके साथ ही विराजमान रहती हैं.