बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्कूली बच्चों को साफ शौचालय उपलब्ध न कराने पर महाराष्ट्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। साथ ही सवाल किया कि, उसे किस शुभ मुहूर्त का इंतजार है? इसके लिए नीति क्यों नहीं बनाती?
दरअसल यह मामला लॉ स्टूडेंट्स निकिता गोरे और वैष्णवी घोलावे की याचिका में सामने आया है। याचिका में बताया गया था कि, सरकारी स्कूलों में सफाई न होने से महिलाओं और किशोरियों को पीरियड्स के समय काफी दिक्कतें हो रही हैं। इसी साल हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने मुंबई और आसपास के जिलों के 235 स्कूलों का सर्वे कर बताया कि, 207 स्कूलों के शौचालय बहुत बुरी हालत में हैं।
जस्टिस प्रसन्ना वराले और जस्टिस शर्मिला देशमुख ने सुनवाई के बाद कहा, ‘मुंबई में यह हाल हैं तो गांवों में क्या होता होगा? क्या सरकार इतनी शक्तिहीन है कि उचित नीति भी नहीं बना पा रही या किसी शुभ दिन का इंतजार है?’ मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद रखी गई है।
महाराष्ट्र सरकार के सरकारी वकील ने बताया कि, सरकार लोगों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और स्कूलों के बीच इस मामले में काम करते हुए जागरूकता बढ़ाने के अभियान आयोजित कर रही है।