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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 8 Nov 2021 5:23 pm IST


आपसी रस्साकशी में फंसी कांग्रेस, साढ़े तीन दशकों की हार से नही लिया सबक


काशीपुर। कांग्रेस की परंपरागत सीट रही काशीपुर में साढ़े तीन दशक बाद भी स्थितियां पार्टी के अनुकूल नहीं दिख रहीं हैं। प्रांतीय नेतृत्व भले ही एकजुट होकर विधानसभा चुनाव में उतरने का दंभ भर रहा हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर कांग्रेस छितराई हुई है। टिकट की दावेदारी के लिए महानगर अध्यक्ष का कथित ऑडियो वायरल होने के बाद पार्टी में दो प्रमुख शक्ति केंद्र बन गए हैं। पार्टी के घोषित कार्यक्रमों में भी कांग्रेसी एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं। यूपी, उत्तराखंड के पूर्व सीएम एनडी तिवारी की कर्मभूमि रहे काशीपुर में दशकों तक कांग्रेस अजेय रही। वर्ष 1987 के विस चुनाव में अकबर अहमद डंपी के रूप में संयुक्त विपक्ष का मजबूत प्रत्याशी होने से कांग्रेस की नींव हिल गई। तब डंपी ने कांग्रेस के प्रत्याशी अम्मार रिजवी को शिकस्त दी थी। तब से काशीपुर की राजनीतिक जमीन कभी कांग्रेस के प्रति उपजाऊ नहीं रही। पिछले 20 सालों से हरभजन सिंह चीमा भाजपा से विधायक हैं। चीमा के राजनीतिक संन्यास की घोषणा के बाद भाजपा में भी टिकट के लिए घमासान की स्थिति है।