Read in App


• Wed, 23 Jun 2021 8:02 am IST


माँ रतनगढ़वाली मन्दिर : जहां किसी भी जहरीले जानवर का विष बिना किसी दवा के होता है ठीक


रतनगढ़ माता मंदिर रामपुरा गांव से 5 किमी और दतिया (मध्य प्रदेश) से 55 किमी दूर स्थित है. यह पवित्र स्थान घने जंगल में और “सिंध” नदी के किनारे पर है, हर साल हजारों भक्त इस मंदिर में आते हैं ताकि वे माता रतनगढ़ वाली और कुंवर महाराज का आशीर्वाद पा सकें। हर साल भाई दूज (दीपावली के अगले दिन) के दिन लाखों श्रद्धालु यहां माता और कुंवर महाराज के दर्शन करने के लिए आते हैं. माँ रतनगढ़वाली एवं कुबर बाबा की कृपा से किसी भी जहरीले जानबर का विष बिना किसी दवा के मात्र इनके नाम का बंध लगाने से पूर्णतः ठीक हो जाता है . यहाँ के लोगों की मान्यता है कि यदि दुर्भाग्यवश किसी को जहरीला जीव – जन्तु ( साँप, छिपकली या जिसके काटने से जान जाती हो) काट ले, तो लोग जमीन से जरा सी मिट्टी, भभूती के रूप में माता रतनगढ़बाली और कुँवर महाराज के नाम से बंध लगा देंते हैं, मान्यता है कि इसके बाद कोई भी इलाज/ चिकित्सा करने की कोई आवश्यकता नही होती.. माँ रतनगढ़ वाली के भक्त कहते है की माँ की कृपा से रोगी को काल छू भी नही सकता.. लेकिन इस बात का ध्यान अवश्य रखना है कि आने बाली दीपाबली की दूसरे दिन “भाई दूज” को रोगी को और अगर पशु रोगी हैं तो उककी शांकर / गेरमां ( जिस रस्सी से पशुओं को बाधा जाता है) को माँ रतनगढ़ बाली दरबार में दर्शन को लाऐ. माँ रतनगढ़ वाली एवं कुवर महाराज के दर्शन करने के पश्चात रोगी का बंध खुल जाता है…


माँ रतनगढ़वाली की कथा कुछ ऐसी है कि मुगलो से युद्ध के दौरान शिवाजी विंध्याचल के जंगलों मे भूखे- प्यासे भटक रहे थे. तभी कोई कन्या उन्हें थाली मे भोजन लेकर आई़़ और जब शिवाजी ने अपने गुरू स्वामी रामदास से उस कन्या के बारे मे पूछा तो उन्होने अपनी दिव्य दृस्टि से देखकर बताया कि वो कोई सामान्य कन्या नही अपितु साक्षात जगत जननी माँ जगदम्बा हैं.