कोरोना के केस कम होने के बाद दून में बड़ी संख्या में लोगों ने मास्क पहनना छोड़ दिया है। जिस पर मुख्यमंत्री के फिजीशियन और कोरोनेशन अस्पताल के डाक्टर डा. एनएस बिष्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है।
डा. बिष्ट ने कहा कि शहर में मास्क न पहनने वालों की संख्या उत्तराखंड के किसी भी शहर की पूरी जनसंख्या से भी अधिक है। कहा कि नवंबर के अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक त्योहारी सीजन में दून में बिना मास्क वालों का अनुपात उत्तराखंड के दूसरे सबसे बड़े शहर की जनसंख्या के दो गुने के बराबर है। मानकों के अनुसार कम से कम 80 फीसदी लोगों का मास्क पहनना अनिवार्य है। मास्क का चलन इस समय प्रदेश में न्यूनतम स्तर पर है। मार्च 2020 के बाद नवंबर 2021 में एकदहाई प्रतिशत यानी आठ फीसदी से भी कम है। उत्तराखंड में धार्मिक एवं प्राकृतिक पर्यटन के साथ शीतकाल में वायरस की प्रसार क्षमता में होने वाला बदलाव है। वायरस ठंड और कम नमी में हवा में ज्यादा देर तक टिकता है। ऐसे में बिना मास्क के लोगों का भीड़ आदि से जुटना वायरस को फैलने में मदद करता है। मास्क का चलन कम होने से एक और भी चिंता पांवपसार रही है। वह है फ्लू या स्वाइन फ्लू के संक्रमण की। फ्लू की दवा और टीका दोनों उपलब्ध है। उसकी जागरूकता नहीं के बराबर है। फ्लू का संक्रमण बच्चों बुजुर्गों और हृदय रोगियों के लिए जानलेवा साबित होता है। कोरोना का वायरस शुरुआत में नाक और गले में पनपता है, जिस दौरान व्यक्ति को किसी प्रकार के लक्षण नहीं होते हैं।