चमोली-बदरीनाथ के ब्रहमकपाल तीर्थ पुरोहित संगठन ने मंदिरों में पूजा प्रक्रिया के समय में किये गये बदलावा पर नाराजगी व्यक्त की है। संगठन ने सरकार से कोविड गाइड लाइनों के साथ मंदिरों में पौराणिक परम्पराओं के अनुसार पूजा-अर्चना करवाने की मांग उठाई है। कहा गया जहां बदरीनाथ और नृसिंह मंदिर में पौराणिक काल से ब्रहम मुहूर्त में चार बजे पूजा की जाती है। वहीं देवस्थानम के कर्मचारियों की ओर से कोविड नियमों का हवाला देते हुए इन दिनों सात बजे मंदिर खोला जा रहा है। बता दें कि कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिये सरकार की ओर से कोविड कफ्र्यू की निर्धारित नियमावली में जहां मंदिरों में दर्शन प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है। वहीं नियमावली के अनुसार मंदिरों में पूजा-अर्चना के समय में भी बदलाव किया गया है। ऐसे में मंदिरों में पौराणिक काल से धार्मिक मान्यताओं के अनुरुप ब्रहम मुहुर्त में होने वाली पूजा अर्चना समय से नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में ब्रहमकपाल तीर्थ पुरोहित संगठन की ओर से कोविड के नाम पर परम्पराओं को बदलने के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की गई है। शंकराचार्य मठ के तीर्थ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती का कहना है कि सरकार की ओर से कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिये मंदिरों में दर्शन प्रक्रिया रोकने का समर्थन किया जा रहा है। लेकिन सीमित संख्या में मंदिर में होने वाली नित्य पूजा-अर्चना के लिये समय में परिर्वतन धार्मिक मान्यताओं के अनुरुप नहीं है। सरकार को नियमों में बदलाव कर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिरों में पूजा-अर्चना करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पौराणिक काल से ही बदरीनाथ और नृसिंह मंदिर में ब्रहम मुहूर्त में चार बजे बजे पूजा करने की परम्परा है। लेकिन वर्तमान में कोविड नियमों का हवाला देते हुए मंदिर सात बजे खोले जा रहे हैं। जिससे हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग आहत है।