कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में जब देश भर में काम-धंधे बन हो गए तो तमाम कामगार अपने-अपने घरों को लौट आये। ऐसे में उनके पास निराशा के सिवा कुछ भी नहीं था। तब बिहार के एक छोटे से गांव चनपटिया से दूसरे राज्यों में जाकर कई दशकों तक काम करने वाले कारीगरों ने सोचा भी नहीं था कि ये वैश्विक बंदी उनके लिए एक बड़ा अवसर लेकर आएगी और उनकी खुद की अपनी फैक्ट्री तथा खुद का अपना ब्रांड होगा। कुछ साल पहले तक मात्र 20 से 25 हजार रुपए महीना कमाने वाले ये कारीगर आज सलाना एक से डेढ़ करोड़ रुपए का कारोबार कर रहे हैं। चनपटिया स्टार्टअप जोन के एक उद्यमी रमेश के मुताबिक उनके इलाके के लोगों को अक्सर रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की तरफ रुख करना पड़ता था। कोरोना महामारी के चलते लगने वाला लॉकडाउन हम जैसे कामगारों के लिए बड़ा अवसर लेकर आया।
रमेश बताते हैं कि पश्चिम चंपारण के जिलाधिकरी कुंदन कुमार ने बेहतर पहल की, जिससे चनपटिया स्टार्टअप जोन की शुरुआत हुई और वे लोग कामगार से फैक्ट्री के मालिक तक का सफर तय कर सके और अपना खुद का ब्रांड खड़ा कर पाए। रमेश ने बताया कि उन्होंने ‘बिस्ट्रो ड्यूट’ नाम से अपना खुद का एक ब्रांड खड़ा किया है। रमेश बताते हैं कि बेहतर नतीजे के लिए वे बेहतरीन फैब्रिक का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि बाजार से ब्रांडेड फैब्रिक लाकर उससे एक से बढ़कर एक डिजाइन के टी शर्ट, ट्राउजर, हुडी, स्वेट शर्ट इत्यादि तैयार करते हैं। उनकी फैक्ट्री में कुल 25 कारीगर काम करते हैं। रमेश कहते हैं कि आज उनका माल, पटना, यूपी, लुधियाना, झारखंड और अन्य कई राज्यों में सप्लाई किया जाता है। खुद के ब्रांड एवं कपड़ों की क्वालिटी पर उनको इतना भरोसा है कि हल्की भी खराबी आने पर माल वापसी की भी सुविधा उन्होंने उपलब्ध कराई है। चनपटिया स्टार्टअप जोन के अध्यक्ष ओम प्रकाश बताते हैं कि आज पूरे जोन में कुल 500 लोगों को रोजगार मिला है, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। इतना ही नहीं पूरे जोन को मिलाकर सालाना टर्नओवर कम से कम 10 करोड़ का है।