सुदीप दत्ता आज 1600 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। इस कंपनी को उन्होंने काफी मेहनत, लगन और लीडरशिप क्वालिटी के दम पर खड़ी की है। आपको जानकार हैरानी होगी कि एक समय था जब वे मुंबई मे महज 15 रुपए की दिहाड़ी मजदूरी किया करते थे। वो यहां एक पैकेजिंग कंपनी में पैकिंग, लोडिंग और डिलीवरी का काम करते थे। मजदूरी करते-करते उन्होंने यहां पर सभी काम को और बिजनेस की बारीकियों को समझा। मुंबई में पैसे बचाने के लिए वो शुरुआती 2 से 3 सालों में एक कमरे में 10-15 लोगों के साथ रहते थे। दरअसल उस वक्त उनके ऊपर परिवार के सात सदस्यों के पेट भरने की जिम्मेदारी थी। यही वजह थी कि उन्होंने मुंबई में काफी तकलीफ झेली। 17 साल की उम्र में आर्थिक स्थिति बेहतर न होने की वजह से वे रिश्तेदारों और गांव वालों की सलाह पर मुंबई आये थे।
आपको बता दें कि सुदीप दत्ता का जन्म पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर जिले में हुआ था। उनके पिता फौज में थे और साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में उनको गोली लग गई थी। इसके बाद ही उनके पिता को लकवा हो गया। ऐसे में घर की सारी जिम्मेदारी उनके बड़े भाई पर आ गई लेकिन कुछ समय बाद उन्हें भी गंभीर बीमारी से जकड़ लिया और इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। जवान बेटे को जाने का गम उनके पिता नहीं झेल पाए और कुछ समय में उनका भी निधन हो गया। ऐसे में 12वीं पास करने के बाद सुदीप को रोजगार के लिए मुंबई आना पड़ा।
सुदीप दत्ता की कंपनी खड़ी करने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, वे जिस कंपनी में काम करते थे, वह लगातार घाटे में चल रही थी। स्थिति ऐसी आ गई कि वह बंद होने की कगार पर पहुंच गई। ऐसे में सुदीप दत्ता ने उस कंपनी को खरीदने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने कंपनी के मालिक को 16,000 रुपये दिए ताकि वे अपना उधार चुका सकें। उन्होंने ये पैसे अपनी बचत और दोस्तों से उधार लेकर जुटाए थे। कंपनी खरीदने के लिए पैसे कम पड़ने पर उन्होंने कंपनी के मालिक को अगले दो साल तक कंपनी से होने वाले मुनाफे का पैसा देने का वादा किया।
इन शर्तों के साथ उन्होंने इस कंपनी को खरीद लिया और उसके मालिक बन गए। इसके बाद उन्होंने कंपनी के प्रोडेक्ट्स पर फोकस किया और कई छोटी कंपनियों से ऑर्डर लेने शुरू किये। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और कुछ ही समय में उनकी कंपनी ESS DEE ALUMINIUM PVT LTD को सन फॉर्मा और नेस्ले कंपनी से ऑर्डर मिलने लगे। इसके बाद सुदीप दत्ता ने वेंदाता कंपनी से इंडिया फॉयल को 130 करोड़ रुपये में खरीद लिया। ये पैकेजिंग के क्षेत्र की दिग्गज कंपनी थी। इसके बाद उन्होंने साल 1998-2000 के बीच अपनी कंपनी एसडी एल्युमीनियम की देश के विभिन्न शहरों में 20 प्रोडक्शन यूनिट स्थापित की। आज उनकी इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 1600 करोड़ है।