हर माह के कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या तिथि होती है। इस साल फाल्गुन माह की अमावस्या सोमवार, 20 फरवरी को है। सोमवार का दिन होने के कारण ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। अमावस्या के दिन व्रत और स्नान-दान करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। इस साल फाल्गुन अमावस्या बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन कुछ खास और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। चलिए पहले जानते हैं इसकी तिथि, महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त
सोमवती अमावस्या 19 फरवरी को शाम 04.18 बजे शुरु होगी और इस तिथि का समापन 20 फरवरी को दोपहर 12.35 बजे होगा। स्नान एवं दान का मुहूर्त 20 फरवरी को सुबह 7 से सुबह 8.25 बजे तक रहेगा, जबकि पूजा का मुहूर्त सुबह 09.50 बजे से सुबह 11.15 बजे तक रहेगा।
महत्व
अमावस्या का दिन पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध की रस्मों के लिए उपयुक्त माना जाता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर पूजा और तर्पण का दोगुना फल मिलता है। इस साल की फाल्गुन अमावस्या पर सोमवार और शिव योग का संयोग बन रहा है। ये दिन और योग दोनों ही महादेव को समर्पित है। ऐसे में इस दिन भोलेनाथ की साधना, मंत्र जाप, तप, श्राद्ध कर्म आदि से घर में सुख और समृद्धि का वास होगा। ये शिव योग, 20 फरवरी को सुबह 11.03 बजे से 21 फरवरी की सुबह 06.57 बजे तक रहेगा।
पूजा विधि
अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान के बाद पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म करें। उसके बाद 5 माला गायत्री मंत्र का जाप करें। मान्यता है इससे हर तरह के संकट का नाश होता है। सोमवती अमावस्या के दिन दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, शक्कर से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। साथ ही 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे चंद्रमा भी मजबूत होता है। इस दिन शिव मंदिर में चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। फिर सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में कच्चा सूत 108 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें। 5 तरह के फल भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर इन्हें कन्याओं को दान कर दें। इससे अखंड सौभाग्य और धन-संपत्ति का वरदान मिलता है।