नन्हीं परी सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज के आल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजूकेशन (एआईसीटीई) के मानकों को पूरा नहीं करने पर प्रथम वर्ष में छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलने में असमंजस है। वहीं द्वाराहाट और टनकपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में सीटें फुल होने से छात्र-छात्राएं परेशान हैं। उन्हें मजबूरन निजी कॉलेजों में जाना पड़ रहा है।पिथौरागढ़ में वर्ष 2011 में नन्हीं परी सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकार से स्वीकृति मिली थी। उस समय कॉलेज को वीर बहादुर तकनीकी विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज की मान्यता दी गई जिसके बाद कॉलेज में प्रथम वर्ष की कक्षाओं का संचालन किया गया। उस समय सरकार ने कॉलेज के नए भवन के निर्माण के लिए करीब 23 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। आईटीआई में जगह कम होने के कारण कॉलेज को दिव्यांग भवन और बाद में केएनयू जीआईसी में शिफ्ट किया गया। तब से कॉलेज केएनयू जीआईसी में ही संचालित किया जा रहा है।