बारिश का मौसम सिर पर है और तैयारियां अभी भी नाकाफी नजर आ रही हैं। बढ़त आबादी के साथ पालिका को निगम का दर्जा भी मिल गया, लेकिन इसी शहर का वजूद खतरे में नजर आ रहा है। घंटे भर की बारिश में शहर की सड़के नाले में तब्दील हो जाती हैं, पिछली मानसून में जब सड़कें लबालब थीं और लोगों के आशियानों तक पानी था तो हर किसी ने शहर के जिम्मेदारों को दोषी ठहराया, लेकिन इसके लिए कहीं न कहीं पूरा तंत्र जिम्मेदार नजर आता है। परिदृश्य देखे तो पता चलता है कि सीवरेज सिस्टम के लिए ही कितनी कश्मकश से लोगों को जूझना पड़ा है। एक पूरे प्लान के तीन दशक पूर्व शहर को सीवरेज का कवच दिया गया। पानी का अविरल प्रवाह भी हुआ, लेकिन अचानक यह व्यवस्था ढह गई और इसके साथ बह गई सरकारी व्यवस्थाएं। आज घंटे भर की बारिश में शहर की सड़के नाले के रूप में तब्दील हो जाती है।