गुजरात के बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई के फैसले पर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
दरअसल, अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने गुजरात के बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। आयोग ने कहा कि, उम्रकैद की सजा पाए दोषियों की जल्दी रिहाई को इजाजत और न्याय का मजाक है। यूएससीआईआरएफ के उपाध्यक्ष अब्राहम कूपर ने एक बयान जारी रिहाई के फैसले की निंदा की है।
इसके अलावा आयोग के आयुक्त स्टीफन श्नेक ने कहा कि यह फैसला धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों को सजा से मुक्त करने के एक पैटर्न का हिस्सा है। बता दें, 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के दौरान गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसकी पांच साल की बेटी व 13 अन्य की हत्या हुई थी।
वहीं इस मामले में मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को 2008 में हत्या और सामूहिक दुष्कर्म का दोषी मानकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी।