जुलाई महीने की समाप्ति आकाश में आकर्षक उल्का बौछार के साथ होने जा रही है। आज बृहस्पतिवार की रात से शुक्रवार सुबह तक यह उल्कापात अपने चरम पर रहेगा और बेहद चमकीली उल्काओं से आकाश चमक उठेगा। हालांकि इस आकर्षक दृश्य का नजर आना बादलों की स्थिति पर निर्भर करेगा। उल्का बौछार तब होती है जब पृथ्वी धूमकेतु की ओर से छोड़े गए मलबे की एक धारा से होकर गुजरती है। जैसे ही मलबे की धारा में स्थित चट्टान और धूल के टुकड़े पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं, वे जल जाते हैं और आकाश में आग की धारियां जैसी बनाते हैं। विभिन्न धूमकेतु सूर्य के करीब 14 लाख किलोमीटर के भीतर अपने निकटतम होने पर नजर आते हैं। डेल्टा एक्वेरिड उल्का बौछार के उत्पादन के लिए जिम्मेदार मूल धूमकेतु के बारे में अब भी अनिश्चितता है। अब तक माना जाता था वे यह उल्का बौछार मार्सडेन और क्रैच सनग्रेजिंग धूमकेतु के टूटने से उत्पन्न हुई है। हालांकि अब वैज्ञानिक धूमकेतु 96 पी मैकोल्ज नामक एक अन्य सनग्रेजिंग धूमकेतु तो इस उल्का बौछार के संभावित स्रोत के रूप में मानने लगे हैं। 1986 में डोनाल्ड मैकहोल्ज के खोजे गए इस धूमकेतु का अनुमानित व्यास करीब 6.4 किलोमीटर है और सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करने में इसे पांच साल लगते हैं।