देहरादून। उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने दैनिक श्रमिकों को न्यूनतम वेतनमान देने के मामले में सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार की 100 से ज्यादा स्पेशल अपीलों को खारिज करते हुए वन विभाग के दैनिक वेतन भोगियों को न्यूनतम वेतनमान देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना है कि ये लम्बे समय से काम कर रहे हैं ,लिहाजा इनको वेतनमान दिया जाना चाहिए।
दरअसल, साल 2000 से 2010 के बीच अधिकतम पांच हजार रुपये में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों की याचिका पर हाई कोर्ट की एकलपीठ ने 23 मार्च 2017 को न्यूनतम वेतमान देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दस सप्ताह में छठे वेतनमान के तहत 12 प्रतिशत व्याज के साथ एरियर का भी भूगतान करें। एकलपीठ के इस आदेश को सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी। चीफ जस्टिस की बेंच ने एकलपीठ के फैसले को सही बताते हुए सरकार की सभी स्पेशल अपीलें खारिज कर दी हैं। कोर्ट के इस फैसले से आठ सौ से एक हजार तक वन श्रमिक लाभान्वित होंगे।