गोपेश्वर। सड़क की मांग को लेकर अनशनरत लोगों को पुलिस ने जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती करा दिया। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ।अनशनकारी और ग्रामीणों की पुलिस से धक्कामुक्की हुई। उन्हें एंबुलेंस में ले जाने लगे तो वह एंबुलेंस के आगे ही लेट गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने लोगों को घसीटना शुरू कर दिया। काफी देर हंगामे के बाद डीएम के कहने पर वह अस्पताल जाने को तैयार हुए। इसके बाद दो और लाेग अनशन पर बैठ गए।डुमक गांव को सड़क से जोड़ने की मांग को लेकर ग्रामीण तीन माह से आंदोलनरत थे। बीते मंगलवार को डुमक के ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट परिसर में अनशन शुरू किया। अनशन पर बैठे अंकित भंडारी और अनिरुद्ध सनवाल की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें प्रशासन ने अस्पताल में भर्ती कराया। उपचार के बाद वह ठीक हो गए और घर भेज दिया गया।इसके बाद बृहस्पतिवार को जगदीश सिंह और प्रदीप सिंह अनशन पर बैठ गए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को भी अनशनकारियों की जांच की जिसमें उनके वजन में गिरावट दर्ज की गई और शुगर लेवल कम मिला। इस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने भर्ती होने से मना कर दिया।अनशन पर बैठे ग्रामीणों को उठाने के लिए पुलिस शाम करीब 7 बजे कलेक्ट्रेट पहुंची तो ग्रमीणों ने विरोध किया।इस दौरान पुलिस के साथ लोगों की धक्कामुक्की हुई। जबरन दोनों अनशनकारियों को एंबुलेंस में बिठाया गया तो लोग एंबुलेंस के आगे लेट गए। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने लोगों को घसीटना शुरू कर दिया। काफी हंगामे के बाद डीएम के कहने पर अनशनकारी अस्पताल जाने को तैयार हुए।उसके तुरंत बाद मेहरबान सिंह और रघुनाथ सिंह अनशन पर बैठ गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन इसी तरह हर दूसरे दिन उनको उठाकर आंदोलन को खत्म करने का प्रयास कर रहा है।