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• Thu, 1 Aug 2024 12:57 pm IST


फाइबर की कमी से हो सकती है कब्ज और अनेक समस्या, जानिए कैसे इस Deficiency को करे ख़तम


फाइबर से भरपूर डाइट से डाइजेशन बेहतर होता है और वेट मैनेज करने में भी मदद मिलती है. डाइट में फाइबर की कमी से कई तरह की समस्याएं हो सकती है. कुछ संकेतों से समझा जा सकता है कि बॉडी को नहीं मिल रहा पर्याप्त फाइबर.
बैलेंस फूड लेने से हेल्थ से रिलेटेड कई समस्याओं से राहत मिल सकती है. बैलेंस फूड में फाइबर से भरपूर डाइट (Fibre rich food) का बहुत महत्व है. इससे न केवल डाइजेशन बेहतर होता है बल्कि वेट मैनेज करने में भी मदद मिलती है. डाइट में फाइबर की कमी (Fibre deficiency) से कई तरह की समस्याएं हो सकती है. यह जानना बहुत जरूरी है कि आपकी डाइट के फाइबर की जरूरी मात्रा है या नहीं. कुछ संकेतों से यह समझा जा सकता है कि बॉडी में फाइबर की कमी है. आइए जानते हैं क्यों जरूरी है फाइबर और किन संकेतों से समझा जा सकता है कि हो रही है फाइबर की कमी (Signs of Fibre deficiency) . डायटीशियन के अनुसार फाइबर रिच फूड से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है. इससे डाइजेशन बेहतर होता है और शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है. फाइबर रिच फूड वेट मैनेज करने में बहुत मदद करता है. इससे डाइजेशन बेहतर होता है और कब्ज की समस्या नहीं होती है. विशेषज्ञों के अनुसा 19 से 50 वर्ष के पुरुषों को हर दिन 35 ग्राम तक फाइबर लेना चाहिए. इस उम्र की महिलाओं के लिए हर दिन 25 ग्राम फाइबर काफी होता है.

फाइबर की कमी के संकेत( Symptoms of fiber deficiency)
कब्ज की समस्या
फाइबर से डाइजेशन बेहतर होता है. इसकी कमी के कारण कब्ज की समस्या हो सकती है. अपनी डाइट में साबुत अनाज, सब्जियां, फलियों को शामिल कर फाइबर की जरूरत पूरी की जा सकती है.

शुगर में उतार चढ़ाव
ब्लड शुगर में बार बार उतार चढ़ाव भी डाइट में फाइबर की कमी का संकेत हो सकता है. डाइट में फाइबर शामिल करने से कार्ब्स के डाइजेशन को धीमा करने में मदद मिलती है जिससे शुगर कंट्रोल में रहता है.

बैड कोलेस्ट्रॉल
डाइट में शामिल फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है. फाइबर के सेवन से बाइल कोलेस्ट्रॉल के साथ बाइंड हो जाता है और बॉडी में ज्यादा बाइल से कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ने से रोका जा सकता है. बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना बताता है कि डाइट में फाइबर की कमी है.

डाइट में ऐसे शामिल करें फाइबर (Fiber rich foods)

हरी सब्जियां
पालक, गाजर और ब्रोकली जैसी हरी सब्जियों में भरपूर फाइबर की पाया जाता है. इनकी मदद से वॉबल मूवमेंट रेगुलर रहता है. इनसे मिलने वाले इनसॉल्यूबल फाइबर मौसमी संक्रमणों से बचने में मदद मिलती है.

साबुत अनाज
डाइट में साबुत अनाज को शामिल कर फाइबर की कमी दूर की जा सकती है. इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ बूस्ट होती है और वेट मैनेज करने में मदद मिलती है.

मौसमी फल
डाइट में हर दिन मौसमी फलों को शामिल कर फाइबर की कमी दूर की जा सकती है. अमरूद, सेब, केला, अनार और चेरी जैस फलों में फाइबर पाया जाता है. इससे शरीर हेल्दी और एक्टिव बना रहता है.