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• Tue, 6 Jul 2021 8:02 am IST


डिजिटल भारत के छह साल, अब तक कहां पहुंचे हम?


विगत एक जुलाई को 'डिजिटल भारत’ अभियान के छह वर्ष पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया भारत का संकल्प है। डिजिटल इंडिया की मदद से देश में अब प्रक्रियाएं बहुत आसान और तेज हुई हैं। यह दशक वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में देश की हिस्सेदारी को बहुत ज्यादा बढ़ाने वाला है। निस्संदेह भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जनधन बैंक खातों, लोगों को आधार के सहारे मिली डिजिटल पहचान तथा डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद आधार हैं।


देश में सरकारी सेवाओं के लिए डिजिटलीकरण को अधिकतम प्रोत्साहन, 41 करोड़ से अधिक जनधन खाते, बढ़ता हुआ ई-कॉमर्स, बढ़ता हुआ ई-एजुकेशन, बढ़ता हुआ ई-मनोरंजन, बढ़ता हुआ वर्क फ्रॉम होम, इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की लगातार बढ़ती संख्या, मोबाइल और डाटा पैकेज, दोनों का सस्ता होना भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं।

गौरतलब है कि मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रैफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक, डाटा की खपत बढ़ने की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे अधिक भारत में है। ट्राई के मुताबिक, जनवरी 2021 में भारत में ब्रॉडबैंड का उपयोग करने वालों की संख्या बढ़कर 75.76 करोड़ तक पहुंच चुकी है। डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ रहा है। भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली और तत्काल भुगतान सेवा सहित अन्य तरीकों से किए जाने वाले भुगतान में भी तेज वृद्धि हुई है।


विश्व प्रसिद्ध रेडसीर कंसल्टिंग की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2019-20 में जो डिजिटल भुगतान बाजार करीब 2,162 हजार अरब रुपये का रहा है, वह वर्ष 2025 तक तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 7,092 हजार अरब रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में ई-कॉमर्स की अहम भूमिका है। कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के कारण ज्यादातर ग्राहक ऑनलाइन खरीद के विकल्प को प्राथमिकता देते हैं।