नैनीताल-कोरोना महामारी के बीच अनाथ हो गई एक बिटिया की कहानी बड़ी पीड़ादायक है। सिर से मां-बाप का साया उठा तो कुछ अपरिचित लोग खुद को उसके पिता का रिश्तेदार बताते हुए उसे बेघर करने पर तुल गए। हालांकि पंचायत के दखल से वह अपने मंसूबों में फिलहाल कामयाब नहीं हो सके हैं। इस बेटी के सामने अब जिंदगी की जंग लड़ने की चुनौती आ पड़ी है। यह कहानी है 20 साल की ममता डंगवाल की। बीएसएसी अंतिम साल की छात्रा ममता जब नौ महीने की थी तब दुमकाबंगर बच्चीधर्मा गांव निवासी पार्वती देवी और पूर्व सैनिक कमल सिंह डंगवाल ने उसे गोद लिया था। पांच साल पहले ममता की मां पार्वती देवी एक दुर्घटना में दिव्यांग हो गईं थी। ममता ने हार नहीं मानी। मां की देखभाल, घर का काम और अपनी पढ़ाई बखूबी करती गई। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था।