कोविड-19 प्रकोप के दौरान केंद्रों के संचालन के लिए फर्जी दस्तावेज मुहैया कराने और लापरवाही बरतते हुए इलाज करने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा।
दरअसल, इन फर्मों में इलाज की वजह से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। वहीं अब मौतों के मामले में अस्पताल प्रबंधन फर्म की जांच मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दी गयी है।
गौरतलब है कि, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया की शिकायत पर फर्म और उससे जुड़े चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस मामले की जांच मुंबई पुलिस कर रही थी। अधिकारी ने बताया कि आगे की जांच अर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई है।
बता दें कि जून 2020 में अस्पताल प्रबंधन फर्म के भागीदारों ने बृहन्मुंबई नगर निगम को एक नकली साझेदारी विलेख दिखाकर एनएसईएल, वर्ली, मुलुंड, दहिसर (मुंबई में) में जंबो कोविड-19 केंद्रों के लिए अनुबंध किया। फर्म ने इन केंद्रों के बिल बीएमसी को सौंपे थे। और 38 करोड़ रुपये एकत्र किए थे।
आरोप है कि, अपने निजी फायदे के लिए इन लोगों ने सरकारी मशीनरी और आम नागरिकों को ठगा है। सत्यापन कराने के दौरान सामने आया कि, कोविड-19 केंद्रों के कर्मचारियों और डॉक्टरों के पास चिकित्सा प्रमाण पत्र नहीं थे। न ही सही इलाज मिला।
जिसके बाद इस मामले में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 304-ए (लापरवाही से मौत), 465, 467, 468, और 471 (जालसाजी से संबंधित) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दर्ज किया गया था।