उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। आज यानी 9 नवंबर 2000 को भारत का ये 27वां राज्य अस्तित्व में आया था। उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, जागेश्वर धाम जैसे शक्तिपीठ, तीर्थस्थल और ज्योतिर्लिंग हैं। वहीं, इस राज्य में स्थित कई मंदिर अपने आप में कई रहस्य को समेटे हुए हैं। पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट स्थित हाट कालिका ऐसा ही एक मंदिर है।
देवदार के पेड़ों से चारों तरफ घिरे हुआ हाट कालिका महाशक्ति पीठ धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। स्कंदपुराण के मानस खंड में यहां स्थित देवी का वर्णन भी मिलता है। मान्यताओं के अनुसार खुद मां काली यहां प्रकट होती है। एक प्रसिद्व किवदन्ति के मुताबिक कालिका का रात में डोला चलता है। इस डोले के साथ कालिका के गण, आंण व बांण की सेना भी चलती हैं। मान्यता के मुताबिक अगर कोई इस डोले को छू ले तो उसे दिव्य वरदान की प्राप्ति भी होती है।
मां काली करती हैं विश्राम हाटकालिका मंदिर पर ये भी मान्यता है कि यहां मां काली विश्राम करती हैं। शक्तिपीठ के पास ही महाकाली का बिस्तर लगाया जाता है। सुबह इस बिस्तर पर सिलवटें पड़ी होती है, जो ये संकेत देती है कि यहां पर किसी ने विश्राम किया है। महाकाली के इस मंदिर में सहस्त्र चण्डी यज्ञ, सहस्रघट पूजा, शतचंडी महायज्ञ, अष्टबलि अठवार का पूजन समय-समय पर आयोजित होता है। इसके अलावा महाकाली के चरणों पर श्रद्धापुष्प अर्पित करने से रोग, शोक और दरिद्रता भी दूर होती है।