रुद्रप्रयागः अंग्रेजों के भारत आते ही हिल स्टेशनों का कॉन्सेप्ट शुरू हो गया था. उत्तराखंड में मसूरी, नैनीताल समेत कई बड़े-छोटे हिल स्टेशनों को अंग्रेजों ने ही बसाया था. रुद्रप्रयाग जिले में मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से विख्यात चोपता-दुगलबिट्टा को भी अंग्रेजों की ही देन माना जाता है. साल 1925 में अंग्रेजों ने यहां पर डाक बंगला बना दिया था, जो आज भी मौजूद है, लेकिन यहां सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. चोपता में दूरसंचार, बिजली और शौचालय की सुविधा न होने से पर्यटकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.ब्रिटिश शासकों ने गर्मी से बचने के लिए ऊंचाई पर इन पहाड़ी जगहों को चिन्हित किया था. इन हिल स्टेशनों को समर ओरिएंट्स के रूप में भी जाना जाता है. उस दौरान ब्रिटिश शासक और उनके परिवार वनस्पतियों और जीवों का आनंद लेने के लिए पहाड़ी जगहों पर जाया करते थे. अंग्रेज जब भारत आए, उस दौरान उनके लिए किसी भी तरह के मनोरंजन स्थान नहीं थे. उन्होंने इन वादियों में अपनी छुट्टियां बिताने की तरकीब निकाली और उन्होंने पहाड़ी को काटकर रास्ते बनाने शुरू करवा दिए. उन जगहों पर गेस्ट हाउस भी बनवाए गए.आज केंद्र व राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण चोपता जैसे हिल स्टेशनों में पर्यटकों को सुविधाएं तक नहीं मिल रही. सेंचुरी एरिया का रोना रोने वाली सरकार एक पक्का शौचालय तक मिनी स्विटजरलैंड चोपता-दुगलबिट्टा में नहीं बना पाई है, जबकि हर साल इस टूरिस्ट पैलेस में पर्यटकों की आमद बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही बिजली और दूरसंचार जैसी आवश्यक सुविधाएं भी चोपता में नहीं हैं, जिस कारण पर्यटकों में मायूसी देखने को मिलती है.