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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 28 Jun 2022 9:00 pm IST

नेशनल

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा, शादी से या अवैध संबंधों से हों पैदा, बच्चों का संपत्ति पर है पूरा अधिकार


गुजरात हाईकोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि, पहली शादी से पैदा हुए विधवा के बच्चे दूसरे पति से मां को मिलने वाली संपत्ति के हकदार होते हैं। 

अदालत ने निरुबेन चिमनभाई पटेल के वारिस बनाम गुजरात राज्य के मामले में यह व्यवस्था देते हुए कहा कि, जब कोई विधवा बिना वसीयत के मर जाती है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-15 के तहत उसके उत्तराधिकारी संपत्ति के हकदार होते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसका बेटा या बेटी शादी से पैदा हुआ या अवैध संबंधों से हुआ है। 

जस्टिस एपी ठाकर की पीठ ने कहा कि, इस मामले में विधवा संपत्ति की मालकिन थी। इसलिए उसे अपनी वसीयत के जरिये किसी को भी अपना अविभाजित हिस्सा देने का पूरा अधिकार था। खासकर जब वसीयत को किसी ने हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी थी। बता दें कि, पीठ संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें जिला कलक्टर की तरफ से पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। 

दरअसल असल में संपत्ति के मूल मालिक माखनभाई पटेल ने पत्नी कुंवरबेन और 2 बेटों को संपत्ति का वारिस बनाया। वर्ष 1982 में उनके नाम राजस्व रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गए। इसके बाद कुंवरबेन ने अपने पिछले विवाह से पैदा हुए बेटे की विधवा के पक्ष में भूमि के अपने अविभाजित हिस्से में से एक वसीयत लिखी, जिसके तहत याचिकाकर्ता ने अपने हिस्से का दावा किया। याचिकाकर्ता कुंवरबेन के पिछले विवाह से पैदा हुए बेटे की विधवा के उत्तराधिकारी हैं। जिसको लेकर दलील दी गयी थी कि, जिस संपत्ति पर कुंवरबेन का पूरा अधिकार था, उसमें से अपनी इच्छा के मुताबिक उसे वसीयत के जरिये इसे बांटने का अधिकार था।