40 साल की भिखनी आज भी अपने साथ हुई उस घटना को याद कर सिहर उठती हैं, जब उन्हें उनके ही पड़ोसी ने डायन बताकर पीटना शुरू कर दिया था।
दरअसल, झारखंड के पिछड़े जिलों में आज भी महिलाओं को डायन बताकर मार देने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यही वजह है कि, अब झारखंड सरकार ने लोगों को डायन प्रथा के खिलाफ जागरुक करने और इस प्रथा का शिकार हो चुकीं महिलाओं की मदद के लिए गरिमा योजना की शुरुआत की है।
एक अधिकारी के मुताबिक, गुमला जिले में अब तक महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने या समाज से बाहर निकालने के 476 मामले सामने आ चुके हैं। जिसके बाद डिप्टी कमिश्नर सुशांत गौरव ने लोगों को जागरुक करने और डायन प्रथा को खत्म करने के लिए यह पहल की है, जिसके लिए सुशांत गौरव को प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अप्रैल में सम्मानित भी किया था।
सुशांत गौरव ने बताया कि, प्रोजेक्ट गरिमा के तहत गांव-गांव नाटकों का मंचन कर इस प्रथा के खिलाफ जागरुक किया गया, और 19 महिलाओं की गिरफ्तारी भी की गयी। इस प्रथा की वजह से इलाके में महिलाओं की जनसंख्या भी गिर रही है। यहां आलम ये है कि, रिश्तेदार महिला को डायन बताकर उसकी संपत्ति हड़प लेते हैं।
बताते चलें कि, झारखंड सरकार का गरिमा प्रोजेक्ट को राज्य की 342 ग्राम पंचायतों के 2068 गांवों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें बोकारो, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम और लातेहार जिले के 25 ब्लॉक शामिल हैं। बता दें कि झारखंड में हर साल करीब 60-70 महिलाओं को डायन बताकर मार दिया जाता है।