वैसे तो भाजपा सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए भ्रष्टाचार को मुक्त करने की बात हमेशा से करती आई हो लेकिन जब बात आती है अपनी मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाने की तो बीजेपी सरकार को अक्सर इन लोगों के खिलाफ आवाज उठाने से कतराती है जो भाजपा की दोहरे नीति को अपनाती है। अब इन सबके पीछे सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में भाजपा सरकार भ्रष्टाचार को मुक्त करना चाहती भी है या सिर्फ यह सिर्फ सरकार का एजेंडा है लोगों को बगलाने का। ऐसा ही कुछ कर रही उत्तराखंड की भाजपा सरकार भी जंहा विपक्ष पर सरकार की आवाज अक्सर उठती है लेकिन अपने ही मंत्रियों को खिलाफ सच बोलने में मौन धारण कर लेती है। बात करें उत्तराखंड के एक ऐसे ही मंत्री के बारे में जिनके कारनामों से आजकल उत्तराखंड की राजनीति में बौचल मचा हुआ है। यह कोई और नहीं बल्कि उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत हैं जिनके खिलाफ कई मामलों पर जांच टीम बैठी हुई है।
क्या हरक को नहीं पड़ी किसी की फर्क
कोटद्वार में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईएस) अस्पताल के निर्माण के लिए एक कंपनी को 20 करोड़ रुपये के भुगतान पर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला करोड़ों रुपये के कथित घोटाले को लेकर चर्चा में आए उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़ा है। शासन के संज्ञान में आया है कि कोटद्वार में बनाए जा रहे ईएसआईएस अस्पताल के लिए 20 करोड़ रुपये का भुगतान कर्मकार बोर्ड से किया गया है, लेकिन इसमें धनराशि भुगतान की प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। वहीं पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए श्रममंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसी को 20 करोड़ की पहली किस्त दी गई। इसमें मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री, श्रम सचिव के अनुमोदन के शासनादेश के बाद ही कार्यदायी संस्था को 20 करोड़ की पहली धनराशि दी गई है। सभी काम नियमानुसार हुए हैं।
कर्मकार कल्याण बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाने से लेकर अब तक बोर्ड के मामले में करीब-करीब चुप्पी साधे रहे हरक सिंह रावत ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेस बुलाकर विस्तार से अपना पक्ष रखा। हरक ने पूर्व सीएम हरीश रावत को टारगेट करते हुए अपने कार्यकाल और हरीश रावत के कार्यकाल का लेखा जोखा पेश किया है।
अपने ही जाल में फंसे हरक
मंत्री हरक सिंह इन दिनों उत्तराखंड की राजनीति में काफी चाहें हुए हैं। तो वही अब मंत्री हरक सिंह रावत ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। तो वही सूत्रों के हवाले से ख़बर सामने आ रही है कि कर्मकार कल्याण बोर्ड के मामले पर छोटे से लेकर बड़े अफसर तक सभी लोगों पर गाज गिर सकती है। अब तो यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा सरकार इन लोगों के खिलाफ एक्शन लेती है या नहीं।