हरिद्वार के संतों की थी अहम भूमिका
हरिद्वार। श्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि की मौत से पूरा संत समाज खिल उठा है। उनके सुसाइड नोट में उनके जिससे आनंद गिरि का नाम आया है। वह हरिद्वार के श्यामपुर क्षेत्र स्थित अपने आश्रम बनाकर रहते है । जैसे ही इलाहाबाद पुलिस द्वारा संकेत दिया गया स्थानीय पुलिस ने उनके आश्रम में डेरा डाल दिया और आनंद गिरि को नजरबंद बना करके पूछताछ की जा रही है। गौरतलब यह है कि कुंभ मेले के दौरान नरेंद्र गिरी और आनंद गिरी के बीच भारी विवाद हो गया था। नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरि को बाघंबरी मठ इलाहाबाद में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया था जबकि आनंद गिरि ने बाकायदा पत्रकार वार्ता कर नरेंद्र गिरी पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। यह विवाद संत समाज में काफी चर्चा का विषय बना था। हरिद्वार के संतो के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद का निपटारा किया गया था। कहीं वरिष्ठ संतो ने आनंद गिरि को यह समझाया था कि संत समाज में गुरु की महिमा ही सबसे अपार है और अगर गुरु का सम्मान नहीं रखा गया तो ऐसे शिष्य को समाज भी स्वीकार नहीं करता । इसके बाद कई संतों की मौजूदगी में प्रयागराज में सार्वजनिक रूप से चरण छूकर आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि से माफी मांगी थी। इसके बाद पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया था और संतों की मौजूदगी में आनंद गिरि की अखाड़े और मठ दोनों में एंट्री हो गई थी लेकिन आज जिस तरह से नरेंद्र गिरी की मौत हुई। उससे एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि मामला वास्तव में निपटा नहीं था और अंदर ही अंदर सब कुछ चल रहा था। हरिद्वार के संतो के साथ-साथ यहां के गणमान्य लोगों जिनसे नरेंद्र गिरी बहुत करीब से जुड़े हुए थे। उन सभी की निगाह भी प्रयागराज की ओर लगी हुई है । हर कोई जानना चाहता है कि आखिर मौत की असली वजह क्या है। श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी के बेहद करीबी श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने बताया कि वह इलाहाबाद के लिए निकल चुके हैं। अभी रास्ते में हैं उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि इतना विराट व्यक्तित्व का संत आत्महत्या कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि वहां पहुंचने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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आरोपी आनंद गिरि बोले गुरुजी आत्महत्या कर ही नहीं सकते, मर्डर हुआ है
हरिद्वार । पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए अपने साथ लिए गए श्री महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि ने कहा कि उनके गुरु नरेंद्र गिरी महाराज आत्महत्या कर ही नहीं सकते । वह बहुत जीवट व्यक्तित्व वाले शब्द थे । उनकी निश्चित रूप से षड्यंत्र करके हत्या की गई है। आनंद गिरि ने अपना नाम उनके सुसाइड नोट में आने पर आश्चर्य चकित होते हुए कहा कि यह खुद साजिश का हिस्सा है ।
उन्होंने कहा कि मैं कई वर्षों से गुरु जी के संपर्क में था उन्होंने कभी एक पेज का पत्र भी नहीं लिखा। ऐसा व्यक्ति 5 पेज का सुसाइड नोट लिखेगा ऐसा संभव ही नहीं है । उन्होंने पुलिस को कुछ ऐसे लोगों के नाम भी बताए जो बाघंबरी गद्दी से जुड़े हुए हैं और आनंद गिरि के अनुसार उन्होंने ही इस षड्यंत्र को रचकर नरेंद्र गिरी की हत्या करने के बाद पुलिस को भ्रमित करने के लिए झूठा सुसाइड नोट लिखा होगा । उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। वह खुद भी इस जांच में सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक जगत के लिए महंत नरेंद्र गिरि का निधन बहुत बड़ी त्रासदी है। इस मामले को पूरी तरह सामने लाया जाना चाहिए कि आखिर उनकी हत्या किसने और क्यों की है। श्यामपुर स्थित आनंद गिरि के आश्रम में मीडिया कर्मियों संतो और अन्य लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है।
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संत समाज की हर लड़ाई को अपने कंधों पर ले लेते थे नरेंद्र गिरी
सरकार से हरिद्वार कुंभ में लड़ी थी सीधी लड़ाई
संतों पर यौन उत्पीड़न के आरोपों पर हुए थे मुखर
कई बार दिखाया था सरकार को आईना हरिद्वार। गजब नेतृत्व क्षमता वाले संत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज संतो के वास्तविक नेता थे जब कभी भी संत समाज के हितों पर चोट होता देखते थे तो वह सारी लड़ाई अपने कंधों पर ले लेते थे कोरोना में संपन्न हुए हरिद्वार के कुंभ के दौरान उन्होंने कहीं बाहर उत्तराखंड सरकार से सीधा मोर्चा लिया। कुंभ के लिए अखाड़ों में कोई व्यवस्था नहीं किए जाने पर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव ओमप्रकाश पर उन्होंने हर की पौड़ी पर आयोजित कुंभ के विशेष पूजन के दौरान सीधा हमला बोला था । तत्कालीन मुख्यमंत्री से भी टकरा गए थे और कुंभ के बहिष्कार की चेतावनी दी थी । नरेंद्र गिरी का यह नेतृत्व हरिद्वार के संतों ने कई बार देखा 2017 में जब बड़ा अखाड़ा के महंत मोहनदास गायब हुए थे तब उनकी बरामदगी की मांग को लेकर भी उन्होंने प्रदेश सरकार से सीधा मोर्चा लिया था। नरेंद्र गिरी देश के ऐसे प्रमुख संतों में शुमार रहे जिन्होंने अखाड़ों आश्रमों संतो के संरक्षण के लिए प्रमुखता से आवाज उठाई। अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण ही वह संत समाज में बहुत लोकप्रिय थे और दोबारा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हरिद्वार में ही उन्हें चुना गया था। उन्होंने यह भी आवाज उठाई थी कि संतो को यौन शोषण के मामलों में झूठा फंसाया जा रहा है ऐसे में उन्होंने संतो को सलाह दी थी कि महिलाओं से एकांत कमरों में नए मिला जाए। उनके परिजनों की मौजूदगी में मुलाकात की जाए । श्री महंत नरेंद्र गिरि से नजदीकी संबंध रखने वाले हर संत का ऐसा मानना है कि उनकी मौत के पीछे गहरा षड्यंत्र है इसकी जांच की जानी चाहिए।