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• Mon, 3 May 2021 7:22 pm IST


प्रशांत छाप साबुन ने कैसे ममता की साड़ी को चमकाया!


पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में तृणमूल कांग्रेस की भारी जीत के लिए सभी लोग ममता बनर्जी के नाम और काम को श्रेय देंगे, लेकिन इस जीत में प्रशांत किशोर की भूमिका बहुत बड़ी है। उन्होंने जिस तरह से इस चुनावी युद्ध की रणनीति बनाई, उसी का फल है कि तृणमूल को दो-तिहाई से ज़्यादा सीटें जीतकर सत्ता में आ रही है।

इस लेख में हम यही समझेंगे कि किस तरह प्रशांत किशोर ने चुनावों के लिए तृणमूल की रणनीति का खाका खींचा और उसे अमली जामा पहनाया। आप सब जानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बंगाल में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया था हालाँकि तृणमूल का प्रदर्शन भी बुरा नहीं था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि तृणमूल के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद उसकी सीटें कम क्यों हुई। आइए, उसे हम नीचे समझते हैं।


मान लीजिए, एक पार्टी को 40% वोट मिलते हैं और उसके विरोधियों को 25%, 20% और 15% वोट मिलते हैं तो पहली वाली पार्टी हमेशा चुनाव जीतती रहेगी। लेकिन यदि वही 25 और 20 एक साथ हो गए तो सत्तारूढ़ पार्टी को मुश्किल हो जाएगी। बंगालमें कुछ-कुछ वैसा ही हुआ।

पहले के समय में तृणमूल विरोधी वोट जो अलग-अलग पार्टियों में बँट जाते थे, वे उस बार एकजुट हो गए- यहाँ तक कि वामपंथी और कांग्रेस समर्थकों ने भी तृणमूल को हराने के लिए बीजेपी को वोट दे दिया। यहाँ सोचने की बात थी कि वामपंथी और कांग्रेसी वोटरों ने कैसे बीजेपी जैसी पार्टी को वोट दे दिया जो विचारधारा में उसके बिलकुल अलग थी?

साफ़ था कि ये वामपंथी और कांग्रेसी समर्थक किसी बात से तृणमूल कांग्रेस और उसकी सरकार से बहुत नाराज़ थे और इस नाराज़गी के चलते ही उन्होंने अपनी विचारधारा से भी समझौता कर लिया।