पिछले हफ्ते पाकिस्तान में एक के बाद एक कई लिटरेचर फेस्टिवल हुए। फैज, लाहौर, कराची और पाकिस्तान लिटरेचर फेस्टिवल। अपने यहां से भी लेखक गए थे। जावेद अख्तर साहब थे। बोले, उर्दू खालिस हिंदुस्तानी भाषा है। यहीं दिल्ली और वेस्ट यूपी की खड़ी बोली से बनी है। वह तो 70 साल पहले इसके सिर पर एक टोपी पहना दी गई और चेहरे पर एक दाढ़ी चिपका दी गई, वरना इसका तो असल नाम हिंदवी था। 1798 में शाह अब्दुल कादिर ने जब उर्दू में कुरान-ए-पाक का तर्जुमा किया तो उनके नाम पर फतवा जारी कर दिया गया। कहा गया कि यह जबान काफिरों की है। वजह यह कि दुनिया की और जितनी जुबानें हैं- लैटिन, संस्कृत, स्पेनिश या संस्कृत- इनमें कुछ लिखने की शुरुआत ईश वंदना होती थी। उर्दू ने इसे तोड़ दिया। यह हिंदुस्तान की क्रांतिकारी जुबान है।
फैज फेस्टिवल में मेरे फेवरिट अनवर मकसूद साहब भी थे। इन्हें आप सभी ने शायद यूट्यूब पर पाए जाने वाले कॉमेडी इंटरव्यू की सीरीज ‘लूज टॉक’ में देखा हो। यहीं हैदराबाद के हैं, तकसीम में उस ओर चले गए थे। बोले, ‘यह मेरे जाने का वक्त है। 66 बरस मैंने झूठ लिखा। आज फैसला किया है कि अल्लाह को मुंह दिखाना है, झूठ नहीं बोलूंगा। पाकिस्तान दुनिया का सबसे अच्छा मुल्क है। मैंने झूठ बोलना छोड़ दिया है। कोई गरीब नहीं है पाकिस्तान में। सब अमीर हैं। पाकिस्तान पर एक आने का कर्ज नहीं है। जो पैसे मिले हैं, वे तोहफा हैं जिसे कर्ज नहीं कहते। पाकिस्तान की फौज दुनिया की बेहतरीन फौज है। उनके पास घर नहीं है रहने को, फिर भी वे वतन की हिफाजत कर रहे हैं। फैज साहब ने जिंदगी का एक तवील हिस्सा जेलों में गुजारा, मगर मैंने कभी उन्हें रोते नहीं देखा। एक मुस्कुराहट चेहरे पर बिखरी हुई होती थी। कहते थे मुस्कुराने के अलावा और क्या कर सकते हैं? न हम बदल सकते हैं, न ये बदल सकते हैं।
आजादी के 70 बरस पूरे होने पर लोग उस ओर भी अतीत और वर्तमान पर नजर फेर रहे हैं। अनवर साहब बोले, ‘अल्लामा ने जो ख्वाब देखा था, उससे कहीं ज्यादा पाकिस्तान है। कायदे आजम की मेहनत जगह-जगह रंग ला रही है। दस लाख बच्चे पिछले कुछ महीनों में इसलिए यह मुल्क छोड़ गए कि वे किसी बुरे मुल्क में जाकर रहेंगे, पाकिस्तान तो बहुत अच्छा है।’ इसके बाद पाकिस्तान लिटरेचर फेस्टिवल में अनवर मकसूद ने कहा- हिंदुस्तान में पठान ने तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान में पठान पर FIR कटवाए जा रहे हैं और मौजूदा हालात में पाकिस्तानी पठान की कामयाबी नजर नहीं आती। मगर सुना है कि आने वाले इलेक्शन में पाकिस्तानी पठान की बुकिंग हिंदुस्तानी पठान से ज्यादा है। मेरा वतन नमक पैदा करने वाले दुनिया के मुल्कों में दूसरी जगह पर है, लेकिन नमक हराम पैदा करने वालों में नंबर वन है।’ यह सब अनवर मकसूद साहब उर्दू में बोले, खालिस हिंदुस्तानी जुबान में। पिछले दिनों मैंने हिंदी की एक लेखिका को हिंदुस्तान में कई लिटरेचर फेस्टिवलों में गुफ्तगू करते देखा। वह बहुत अच्छी इंग्लिश में बात कर रही थीं।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स