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• Wed, 7 Feb 2024 3:08 pm IST


बड़े धोखे हैं इस राह में


सोशल मीडिया की एक पोस्ट ने अचानक ध्यान खींचा। मोहम्मद रफी की आवाज़ में एक गाना सुनाई दिया। ध्यान से सुना तो पता चला कि यह तो हाल में रिलीज़ हुई शाहरुख खान की फिल्म डंकी का गाना है, जिसे अरिजीत सिंह ने गाया है। समझते देर नहीं लगी कि एआई यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से अरिजीत के उस गीत को मो. रफी की आवाज़ में रीक्रिएट कर दिया गया है। हैरानी इस बात की थी कि सिर्फ आवाज़ ही नहीं, बल्कि जैसी हरकतें रफी साहब गाना गाते वक्त लेते थे, वो सब भी बड़ी खूबी के साथ गाने में डाल दी गई थीं।

इस पोस्ट की डिटेल में जाने पर कुछ और ऐसे गाने सुनाई दिए। फना फिल्म में सिंगर शान का गाया सुपरहिट गाना किशोर कुमार की आवाज़ में सुनाई दिया। हूबहू किशोर दा की आवाज़, अदाएं और अंदाज़। यहां तक कि उनकी योडलिंग का भी बड़ी खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया था।

मन में ख्याल आया कि पुराने ज़माने के महान गायकों को हम इस तरह अमर कर देंगे तो नए गायकों का क्या होगा? कोई भी गाना जब लता मंगेशकर, आशा भोसले, किशोर, रफी, मुकेश, मन्ना डे जैसे लीजेंड की आवाज़ में ही बनाया जा सकेगा तो नए गायकों को कोई सुनना चाहेगा? या फिर ऐसा होगा कि जिस तरह 80 व 90 के दशक में पुराने ज़माने के इन दिग्गज गायकों के सदाबहार नगमों का रीमिक्स वर्जन बनाकर बहुत से नए सिंगर्स ने खूब शोहरत बटोरी, वही गंगा अब उल्टी बह सकती है?

इस बीच मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने भी रजनीकांत की आने वाली फिल्म लाल सलाम में साउथ के दो दिवंगत गायकों की आवाज़ एआई के ज़रिए रीक्रिएट कर दी, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे अनैतिक बता रहे तो कुछ तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल। इस विवाद पर सिंगर कविता कृष्णमूर्ति का कहना है कि एआई से आप किसी भी गाने में किसी भी सिंगर की आवाज़ तो डाल देंगे, लेकिन मूल गायकी की फीलिंग कहां से लाएंगे।

बहरहाल, जिस तेज़ी से तकनीक का दखल बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब किसी फिल्म में भी हम अपनी पसंद के किरदार डालने लगेंगे। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में दिलीप कुमार और मधुबाला को मेन लीड में तो मुगल-ए-आज़म में शाहरुख और माधुरी को डाल दिया जाए तो क्या हो। किसी भी क्लासिक फिल्म या गाने के साथ ऐसी छेड़छाड़ क्या उचित होगी?

गीत-संगीत तक तो ठीक है लेकिन बाकी क्षेत्रों में एआई के ऐसे दखल की कोई सीमा तय नहीं की गई तो इसके दुरुपयोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हाल ही में हम देख भी चुके हैं, जब किसी महिला के चेहरे पर फिल्म एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का चेहरा लगाकर विडियो ऑनलाइन डाल दिया गया। पहली नज़र में सबको लगा यह रश्मिका ही हैं। लेकिन जब रश्मिका ने खुद बताया कि किसी ने उनके चेहरे का गलत इस्तेमाल किया है, तब असलियत का पता चला।

हम सब अपनी व परिजनों की फोटो और विडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करते रहते हैं। उनका मिसयूज़ कर ऐसा खिलवाड़ किसी के साथ भी हो सकता है। अब जब एआई के ज़रिए चेहरे के साथ ही आवाज़ की भी हूबहू नकल की जाने लगी है तो किसी दिन कोई भी आपके परिजनों का चेहरा और आवाज़ बनाकर आपको गहरे संकट में डाल सकता है।

फरीदाबाद में एक बुजुर्ग दंपति के साथ हाल में कुछ ऐसा ही हुआ। इनका बेटा अमेरिका में रहता है। साइबर ठगों ने एआई से उनके बेटे की आवाज़ सुनाकर न सिर्फ तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा, बल्कि 45 लाख रुपये भी ठग लिए।

चैट जीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपन एआई के सीइओ रहे सैम ऑल्टमैन ने कहा भी था कि इस तकनीक को रेगुलेट करना बेहद ज़रूरी है। ऐसा नहीं किया गया तो यह हमारे अस्तित्व के लिए ही खतरनाक साबित हो सकती है। सैम जिस बात की ओर इशारा कर रहे थे, उस दिशा में ये तकनीक काफी तेज़ी से बढ़ चुकी है।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स