2014 के बाद इंडियन रेलवे में व्यापक स्तर पर बदलाव हुए हैं। रेल बजट को समाप्त किया गया और इसके साथ ही कई ऐसे फैसले भी किए गए, ताकि रेलवे को रफ्तार मिल सके। बीते नौ वर्ष में रेलवे में और भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। सरकार ने रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर रकम झोंकी है लेकिन इसके बावजूद जितना रिजल्ट आना चाहिए था, उतना अब तक सामने नहीं आया। इसकी वजह है कि रेलवे को वित्तीय तौर पर मजबूत करने के लिए सरकार ने तो कारगर कदम उठाए लेकिन रेलवे की बड़ी चुनौती परियोजनाओं पर तेजी से अमल की है।
दरअसल, केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रेलवे के बजट में तेजी से बढ़ोतरी हुई है लेकिन सरकार जितना बजट मुहैया कराती है, वह पूरा खर्च ही नहीं हो पाता। उदाहरण के लिए पिछले वित्तीय वर्ष का ही उदाहरण लें। रेलवे की ओर से 2022=23 के लिए जो बजट अनुमान पेश किया गया, वह दो लाख 45 हजार 800 करोड़ रुपये का था। लेकिन उसी साल में जब संशोधित अनुमान पेश किया गया तो उसमें पांच सौ करोड़ रुपये की कमी कर दी गई। लेकिन जनवरी 2023 में जब लेखा जोखा तैयार किया गया तो पता चला कि वास्तव में एक लाख 64 हजार 587 करोड़ रुपये खर्च हुए। यानी कि जितने का बजट पेश किया गया, उसमें से 80 हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हो पाया।
इसी तरह इससे पहले 2021=22 में संशोधित बजट अनुमान दो लाख 15 हजार करोड़ रुपये लेकिन खर्च हुआ एक लाख 90 हजार 267 करोड़ रुपये। इससे पता चलता है कि सरकार अपनी ओर से रेलवे को भरपूर धन मुहैया करा रही है लेकिन अब जरुरत है कि रेलवे की क्षमता बढ़ाने की है ताकि सरकार मेहनत करके जितना पैसा मुहैया करा रही है, उसे उतनी ही रफ्तार से खर्च किया जा सके।
क्यों नहीं हो पाता खर्च : इसकी सबसे बड़ी वजह परियोजनाओं के बीच आने वाले अवरोध हैं। नई परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण सबसे बड़ी बाधा है। भूमि अधिग्रहण न होने की वजह से रेलवे की कई परियोजाएं अटक जाती हैं। ऐसे में जरुरत है कि रेलवे जब भी कोई परियोजनाओं का खाका तैयार करे तो पहले ये आकलन कर ले कि उस परियोजना के लिए कितनी भूमि की जरुरत है और क्या वह उपलब्ध हो पाएगी। कानूनी दांव पेंच में फंसने की वजह से कई बार रेलवे, अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए भी जमीन समय पर नहीं ले पाती। दूसरी बड़ी जरुरत है कि रेलवे के कामकाज में व्यापक सुधार किया जाए। हालांकि सरकार ने हाल के वर्षों में बड़े सुधार किए हैं लेकिन अभी भी ऐसे सुधारों की जरुरत है, जिससे कि रेलवे खुद को आधुनिक ढंग अपनाए। हालांकि नई ट्रेनें आ रही हैं, कई और ऐसे कार्य हो रहे हैं, जिससे रेलवे का चेहरा बदल रहा है लेकिन अभी रेलवे में कामकाज के पुराने रंग ढंग को बदलने की जरुरत है।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स