76 साल की उम्र में रामचंदर म्हस्कर ने जिला सामाजिक चेतना केंद्र का रुख किया, जहां दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने स्वतंत्र रूप से अक्षर और संख्याएं लिखीं। उनके चेहरे की खुशी शब्दों से परे एक आंतरिक संतुष्टि की झलक है, एक ऐसा उत्साह जो केवल साक्षरता से ही प्राप्त किया जा सकता है। रामचंदर की शैक्षिक यात्रा जो गरीबी के कारण रुक गई थी, अब साक्षरता कार्यक्रम ‘उल्लास’ से फिर शुरू हो गई है। ऐसे अनेक उदाहरण बताते हैं कि साक्षरता एक गतिशील प्रक्रिया है, जिसकी परिणति आजीवन सीखने में होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वर्तमान दशक भारत के विकास पथ में एक महत्वपूर्ण अवधि है, विशेष रूप से 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने की आकांक्षाओं को साकार करने में। ‘विकसित भारत’ की एक अनिवार्यता है कि देश का हर नागरिक साक्षर हो और प्रगति में हिस्सेदार बने। इसके लिए जरूरी था निरक्षरता से निपटने के लिए हमारे दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन। यह पुनर्मूल्यांकन ‘उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ की शुरुआत में परिणत हुआ। अप्रैल 2022 में भारत सरकार ने ‘सभी के लिए शिक्षा’ पर विशेष ध्यान देने के लिए ‘नव-भारत साक्षरता कार्यक्रम’ शुरू किया। यह कार्यक्रम NEP-2020 के विजन पर आधारित है।
अब महज हस्ताक्षर करना ही साक्षरता नहीं होगा। ‘उल्लास’ केवल बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करने की पारंपरिक धारणा से परे है। अब तक की योजनाओं में प्रौढ़ शिक्षण देने के लिए वेतन का प्रावधान था। ‘उल्लास’ के मूलभूत सिद्धांतों में से एक स्वैच्छिक शिक्षण प्रदान करने का नया दृष्टिकोण है। यह भारत में साक्षरता प्राप्त करने के लिए सबसे प्रभावी साधन के रूप में सामने आया है, क्योंकि यह राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को इस प्रयास में संलग्न करता है। इस प्रकार हम अगली जनगणना तक 100% साक्षरता प्राप्त करने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
दूसरा नया प्रयोग है उल्लास में डिजिटल और ऑनलाइन पठन-पाठन। ‘उल्लास’ नाम का एक ऐप बनाया गया है ताकि शिक्षार्थी और स्वयंसेवी अपनी सुविधा के अनुसार कहीं भी और कभी भी पढ़ और पढ़ा सकें। ‘उल्लास’ ऐप पर शिक्षार्थी और स्वयंसेवी स्वयं को रजिस्टर कर सकते हैं। वॉयस ओवर, ऑडियो बुक्स जैसी विशेषताओं के साथ डिजाइन किए गए यूजर फ्रेंडली मोबाइल ऐप से शिक्षार्थी और स्वयंसेवक NCERT के दीक्षा पोर्टल पर ऑनलाइन उपलब्ध शिक्षण सामग्री तक आसानी से पहुंच सकते हैं, जो 22 भाषाओं में उपलब्ध है। इस पर अब तक 6 महीने में देश भर में 1 करोड़ 9 लाख से अधिक शिक्षार्थियों और 32 लाख से अधिक स्वयंसेवियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
शिक्षार्थियों का मूल्यांकन करने के लिए वर्ष में दो बार परीक्षा होती है। कार्यान्वयन के एक वर्ष के बाद इस राष्ट्रव्यापी प्रयास के परिणाम मार्च 2023 में आए, जब 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 23 लाख नए शिक्षार्थियों ने पहली बार परीक्षा दी। दूसरी मूल्यांकन परीक्षा 24 सितंबर 2023 को हुई, जिसमें राज्यों से 17 लाख नव–शिक्षार्थियों ने भाग लिया।
इसी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को दिया गया निर्देश, जिसमें कहा गया है कि सभी अध्यापक, शिक्षा कार्यक्रम के छात्र, शिक्षक के रूप में कम से कम 8-10 शिक्षार्थियों को पढ़ाएंगे जो कि कोर्स का हिस्सा होगा। इसके अलावा UGC और AICTE ने भी सभी कॉलेजों को स्वयंसेवक शिक्षकों के लिए क्रेडिट देने का निर्देश दिया है। कौशल शिक्षा और उद्यमशीलता मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने भी निर्देश जारी किया है कि वे नव-साक्षर जिन्होंने सफलतापूर्वक मूल्यांकन परीक्षा पूरी की है, उन्हें उनके पुनः कुशल और कौशल उन्नयन के लिए व्यावसायिक कौशल विकास के साथ सहजता से जोड़ा जाएगा।
6-7 फरवरी को नैशनल बाल भवन, नई दिल्ली में ‘उल्लास मेला’ आयोजित किया गया।। इस मौके पर स्वयंसेवियों तथा नवसाक्षरों ने मंच साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम उनके जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाया है। उल्लास मेले में राज्यों के उत्कृष्ट प्रयासों, सांस्कृतिक प्रदर्शन और विकास को भी प्रदर्शित किया गया। इन विकासों से उल्लास का महत्व रेखांकित होता है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में साक्षरता को बढ़ावा देता है।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स