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• Sun, 14 Mar 2021 3:19 pm IST


“वो आपके हाथो में है”


जिंदगी में बहुत से ऐसे दौर आते है जब हमे लगने लगता है  कि अब वक्त और परिस्थिति दोने ही हमारे हाथो में नहीं है । वहीं ये कहना गलत नहीं होगा कि उस परिस्थिति से संभलकर बाहर आना बहुत मुश्किल होता है । मसलन हम मन में ये सोच लेते है कि वक्त और परिस्थिति हमारे अनुकूल नहीं है इसलिए ऐसा हो रहा है । हम ये बात मन में धारण कर लेते है कि अब स्थिति मेरे हाथो से बाहर चली गई है । लेकिन सवाल ये कि क्या वाकई ऐसा होता है ? क्या वाकई आप स्थिति को निंयत्रण करना हमारे हाथो में नहीं होता है । 

इसी सवाल पर  आज हम वार्ता करेंगे । गौरतलब है कि मन में ये सोच लेना कि स्थिति मेरे हाथ नहीं है एक नकारात्मक सोच का परिणाम है । इंसान को ऐसा कभी नहीं सोचना चाहिए कि अब सब कुछ उसके हाथो में जा चुका है । क्योंकि ये सच नहीं है । इसी विषय से जुड़ी बचपन की कहानी याद आती है जो हम आज आपसे शेयर करना चाहेंगे । 

कहानी कुछ इस प्रकार है कि कि एक गांव में एक संत हुआ करते थे जो अपनी अनमोल शक्तियों के लिए पहचाने जाते थे । खास बात ये है कि संत के पास हर सवाल का जवाब हुआ करता था , चाहे वो सवाल वर्तमान से जुड़ा हो चाहे भविष्य से , संत हर सवाल का बड़े ही सुख्द रुप से जवाब दिया करते थे । वहीं एक दिन गांव के मुखिया को संत पर शक हुआ के तभी मुखिया ने गांव में  ढिंढोरा पिटवाआ  की जो भी संत को गलत साबित कर देगा उसे 50 हजार का इनाम दिया जाएगा । 

लोग 50 हजार का नाम सुनकर उत्सुक तो हुए लेकिन संत को गलत साबित करने की चुनौती से पीछे हट गए, के तब ही लोगो के बीच खंड़े दो लकड़ो ने हाथ उठाया कि हम संत को गलत साबित कर सकते है । 

लड़को की ये बात सुन कर मुखिया के कान खड़े हो गए । वहीं मुखिया ने लड़को से पूछा क्या तुम वाकई ऐसा कर सकते हो । लड़को ने कहा बिल्कुल , बस संत को गलत साबित करने के लिए हमें केवल एक चिड़िया की आवश्यकता पड़ेगी ।  मुखिया बोला हम निश्चित तौर पर चिड़िया का इंतजाम करवा देंगे । लेकिन तुम दोनो मुझे ये बतायों कि तुम चिड़िया को कैसे गलत साबित करोगे। 

दोनो लड़को ने मुखिया को अपनी रणनिति बताई कि हम अपनी मुट्ठी में चिड़िया को छुपा कर संत के पास जाएंगे और पूछेंगे कि बताओ हमारी मुट्ठी में क्या है ? मुखिया बोला कि संत बड़ी ही आसानी से इसका जवाब दे देगा । लड़के बोले कि ये हमें भी पता है कि संत का जवाब यही होगा कि हमारी मुट्ठी में पक्षी है । इसके बाद हम संत से पूछेंगे कि अच्छा ये बताओ हमारी मुट्ठी में कौनसा पक्षी है । मुखिया ने फिर लड़को को घूर कर देखा ।लड़के बोले संत की हार हमारे आखिर सवाल में छुपी होगी । मुखिया ने फिर अपने कान खड़े कर लिए । लड़के ने अपनी रणनिति बताई कि बोले हम  आखिर में पूछेंगे कि अगर संत कहेगा की चिड़िया जिंदा है तो मैं चिड़िया को मुट्ठी में ही मार  दूंगा और अगर वह कहेगा की चिड़ियां मृत है तो मैं उसे सुरक्षित रख कर मुट्ठी खोल दुंगा । मुखिया को लड़कों की योजना  पसंद आई  और वह तुरन्त लड़को सहित गांवो के लोगो को भी संत के पास लेके पहुचा । 

वहीं संत के पास पहुचकर मुखिया बोला कि ये लड़के आपसे कुछ सवाल करना चाहते हैं । संत  नें मुस्कुराकर अनुमति दे दी । लिहाज़ा लड़कों ने वहीं सवाल पूछने शुरु किए । 

क्या आप बता सकते हैं कि मेरी मुट्ठी में क्या है, संत ने मुस्कुरा कर कहा कि तुम्हारी मुट्ठी में एक पक्षी है ।  लड़कों ने पूछा क्या आप बता सकते हैं कि कौन सा पक्षी है तो संत ने कहा कि तुम्हारे हाथों में एक नन्ही सी चिड़िया है । इसके बाद लड़कों ने अपना आखिरी दांव खेला और पूछा कि क्या आप बता सकते हैं यह मृत है या जिंदा है ।  इस पर संत ने कहा “बच्चों वो तुम्हारे हाथ है” तुम उसे मृत भी बना सकते हो और उसे जिंदा भी रख सकते हो । संत की बात सुनकर दोनो लड़के और मुखिया बहुत शर्मसार हो गए । 


बचपन की कहानी आज भी हमें ये सीख देती है , कि हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए की वक्त और स्थिति हमारे हाथो में नहीं है । क्योंकि धारणा ही गलत है ।