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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 5 Jun 2023 12:38 pm IST


लंदन अर सिडनी मै छारया धोती कुड़ता दामण


बदलाव संसार का नियम सै, या बात आपनै जरूर सुणी होगी। आज के बख्त की बात करां तै या बात जमा साच होरी सै। बदलदे बख्त गेल सारी दुनिया का रंग-ढंग बी बदल्ग्या। आजकाल सारे हरयाणा तै बालक-बच्चे पढ़ाई खातर, अर जवान काम-धंधे की टोह मै दुनियाभर के देसां मै जाण लागरे सैं। पर या बात कति नई बी ना सै। पराणे टेम तै ए पढ़णिए अर काम करणिए विदेस मै जांदे रहे सैं। बस इसे सारी उठा पटक के चक्कर मै घणखरे विदेस के ए होकै रह जे सैं। पर इसका यूं मतलब कतई नहीं सै के उनके आपणा देस-परदेस याद ए कोन आंदा।

बड़े-सयाणे न्यू कहया करैं अक मां-माटी का असर माणस पर तै जीते जी जाया ना करदा। आपनै देख्या होगा हर साल परवासी भारतीय दिवस मनाया जावै सै। इस दन परवासी लोग कट्ठे होकै अपणे देस-धरती की बात करैं सैं। मातरभूमि पै माथा टेक कै अपणे ऊपर उसका स्यान मानैं सैं। दुनियाभर के देसां मै रहण आले हरयाणवी सदा आपणे संस्कार अर संस्करती तै सदा जुड़े रहैं सैं। इन परवासी हरियाणवियां नै देखयां पाच्छै हाम्नै इस बात की बी तसल्ली हो ज्या सै, अक परवासी बी आपणे देस-परदेस नै उतना ए प्यार करैं सैं जितना हाम्म अर आप। दुनिया भर मै अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जर्मनी, इटली, मॉरीशस, फिजी, सिंगापुर, चीन, कनाडा, जापान अर यूएई किते बी रहण आल्ले हरियाणवी हों, सदा आपणे संस्कारां तै जिंदगी जीते पावैं सैं।

कईं देसां मै तो हरयाणवी लोगां के आपणे समूह बणरे सैं। जिस तरियां हरियाणा एसोसिएशन यूके, एसोसिएशन ऑफ हरियाणवीज इन ऑस्ट्रेलिया अर हरियाणा एसोसिएशन यूएसए। आड़ै एक बात का जिकर करणा जरूर चाहूंगा, अक आज तकनीक के जमाने मै परवासी हरयाणवी मोबाइल के गेल एक-दूसरे तै संपर्क बणा कै राखैं सैं। विदेस मै बी एक-दूसरे के दुख-सुख मैं सामिल होवैं सैं, अर भाईचारा बणा कै राख्खै सैं। इंग्लैंड, अमेरिका, यूएई जिसे देसां मैं ये समूह बड़े-बड़े कारयकरम करकै तीज-त्योहार खूब धूम-धल्ले तै मनावै सैं।

40 साल तै इंग्लैंड मै रहणिए दुनियाभर मै परसिद् हिंदी के मंच संचालक रवि शर्मा आज बी गजब की हरयाणवी बोलैं सैं। फरीदाबाद के बड्ड़े लेखक तेजेंद्र शर्मा नै तो हिंदी साहित्य मै बढ़िया काम करण करकै बिट्रेन की महारानी पै तै ब्रिटेन का तीसरा बड़ा सम्मान, ‘आनरेरी मेंबर ऑफ दि ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ मिल्या सै। रोहतक की ललिता शर्मा पाछले 18 सालां तै यूएई मैं पढ़ावैं सैं। उन्नै ओड़ै रहणिए हरियाणवियां का एक समूह बी बणा राख्या सै।

इसे तरियां पंचकूला मै जाम्मी सुरीति मारीशस मै पढ़ाण के गेल हरियाणवी संस्करती तै जुड़े कारयकरम बी ओड़ै के रेडियो पै करदी रहै सै। आस्ट्रेलिया मै रहणिए सेवा सिंह रेढ़ू सोनीपत अर रोहतक के कई छोरया गेल मिलकै हरयाणा दिवस, होली, दवाली मनाण खातर हरयाणवी गाणे-बजाणे के कारयकरम करवावैं सैं। पाच्छले ए महीनै आस्ट्रेलिया मै गीता महोत्सव की धूम रही। ‌रेवाड़ी मै जाम्मी रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया मै, अर रोहतक की इंदु नांदल जर्मनी मै हिंदी भाषा मै लेखण कर री सैं। इटली मै रहणिया रोहतक का श्रीदत्त हरयाणवी कपड़े-लत्यां मै सरकस करै सै। कनाडा मै प्रवीण दलाल अर अमेरिका मै अनिल राठी ‘हरित’ नै हरियाणवी संस्करती का झंडा कति ऊंचा राख्या सै।

इस्से तरियां कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल, जींद, पानीपत, सोनीपत अर यमुनानगर जिल्यां तै घणे ए हरयाणवी दूसरे देसां मै अपणे करतबां तै नाम कमाकै आपणा लोहा मनवा रे सैं। जद लंदन, सिडनी, दुबई किते बी दुनियाभर मै हरयाणवी बोली जावै सै, अक हरयाणवी नाच-गाणा होवै सै, तै किसे बी हरियाणवी की छाती गरव गेल भरणा अर माथा ऊपर नै उठणा आम बात सै। असली बात तै या सै- लंदन अर सिडनी मै देख्या/ जिब धोती कुड़ता दामण/ मन मै मेरे भरया हुमाया/ जणूं आग्या हो सामण।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स