साल 2008, विंबलडन का फाइनल। राफेल नडाल ने रोजर फेडरर के खिलाफ 2-1 से बढ़त बना रखी थी और चौथे सेट के टाईब्रेकर में वह चैंपियनशिप पॉइंट के लिए सर्विस कर रहे थे। ऐसे में भारी दबाव के बीच फेडरर ने हैरान कर देने वाले बैकहैंड शॉट के साथ अंक हासिल किया। यह एपिक बैकहैंड शॉट था, जिसकी चर्चा आज भी होती है। हो सकता है कुछ लोग कहें कि फेडरर ने अपने करियर के दौरान जाने कितनी बार ऐसे चमत्कारिक शॉट्स खेले, तो फिर इस शॉट में ऐसी क्या अलग बात थी?
सबसे शानदार मुकाबला
दरअसल उस बैकहैंड शॉट ने नडाल और फेडरर के बीच खेले गए उस फाइनल मुकाबले को टेनिस इतिहास का सबसे शानदार मुकाबला बना डाला। फेडरर के उस शॉट ने मुकाबले को पांचवें सेट में धकेल दिया और फिर एक-एक अंक के लिए जिस तरह का खेल इन दो दिग्गजों ने दिखाया, उसे दोबारा अपनी आंखों से देखने की चाह हर किसी ने जाहिर की। उस मुकाबले में दोनों ही खिलाड़ियों ने ‘टेनिस गॉड’ की माफिक इस खेल को उसकी पूर्णता तक पहुंचाया। उस वक्त स्टेडियम में मौजूद लोगों को सबसे खुशकिस्मत लोगों में शुमार माना गया। अब कभी ऐसा कड़ा, दिलकश और इस खेल के शीर्ष को छूता हुआ मुकाबला देखने को शायद नहीं मिलेगा, क्योंकि रोजर फेडरर ने टेनिस को अलविदा कह दिया है।
41 साल के हो चुके फेडरर पिछले कुछ समय से चोट से परेशान थे और कोर्ट से भी दूर चल रहे थे। ऐसे में यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि उनका रिटायरमेंट आस-पास ही है। फिर भी उनके रिटायरमेंट की खबर झटका दे गई। टेनिस प्रेमी उम्मीद लगाए बैठे थे एक समय कोर्ट पर राज करने वाला यह स्विस खिलाड़ी फिर लौटेगा और अपने ग्रैंड स्लैम खिताबों की संख्या को और आगे लेकर जाएगा।
फेडरर ने अपने भरपूर आकर्षण, शालीनता और ढेर सारी प्रतिभा से सभी को अपनी ओर चुंबक के माफिक खींचा। कोर्ट पर उनसे सुंदर कोई नहीं। लेकिन ऐसा नहीं था कि फेडरर अपने करियर की शुरुआत से ही ‘फेडरर’ थे। उन्होंने भी एक आम युवा खिलाड़ी के तौर पर शुरुआत की, जिसके अंदर गुस्सा भी था। वह गुस्सा कभी-कभार उस युवक के काबू में नहीं रह पाता था। लेकिन समय ने उन्हें औरों के मुकाबले जल्दी परिपक्व बना दिया।
आक्रामकता बनाम महानता
फेडरर कोर्ट पर बहुत आक्रामक थे, लेकिन उनकी आक्रामकता कभी भी विपक्षी को चुभी नहीं। आक्रामकता उनके खेल में थी, व्यवहार में नहीं। व्यवहार में वह बेहद शालीन थे, जो उनके और महानता के बीच की अहम कड़ी बनी। वह गेट पर खड़े सिक्यॉरिटी गार्ड को अपना आई-कार्ड दिखाना कभी नहीं भूलते थे। लॉकर रूम में जूनियर खिलाड़ियों को खुद अपना परिचय देकर उनसे बातचीत करने का वक्त उनके पास हमेशा होता था। मैच के बाद बॉल बॉयज के लिए पिज्जा मंगाना नहीं भूलते थे। लेकिन वह कभी भी ये सब कैमरे के सामने नहीं करते थे। फेडरर अक्सर कहते थे, ‘महत्वपूर्ण होना अच्छा है लेकिन अच्छा होना ज्यादा महत्वपूर्ण है।’
कई अच्छाइयों से भरपूर फेडरर ने 2013 में 21 साल की उम्र में अपना पहला ग्रैंड स्लैम खिताब जीता और फिर खिताब जीतने को उन्होंने एक परंपरा बना डाला। 2004 से 2007 के बीच 16 मेजर टूर्नामेंट खेले गए और इनमें से 11 में फेडरर चैंपियन बने। फिर उनकी प्रभुता को चुनौती देने वाला भी आया। राफेल नडाल। नडाल अब तक बजरी पर अपनी बादशाहत साबित कर चुके थे, लेकिन बजरी के बाहर फेडरर के सामने वह कहीं नहीं टिकते थे। फिर 2008 का वह प्रसिद्ध विंबलडन फाइनल खेला गया। फ्रेंच ओपन के बाहर नडाल का यह पहला ग्रैंड स्लैम खिताब था। और यहीं से शुरू हो गई फेडरर-नडाल की महान प्रतिद्वंद्विता।
सामने आए नडाल
शुरुआत में नडाल की चुनौती ने फेडरर को थोड़ा असहज किया। लेकिन फिर फेडरर ने नडाल के खेल की प्रशंसा करनी शुरू की और खुले दिल से उन्हें और उनकी चुनौती को स्वीकारा। दोनों कई बार कोर्ट पर आमने-सामने हुए। ग्रैंड स्लैम में भी। ज्यादातर बार नडाल ने बाजी मारी। 2008 के बाद 2009 ऑस्ट्रेलियन ओपन और 2011 फ्रेंच ओपन के फाइनल में दोनों टकराए और बाजी नडाल ने मारी। फिर पांच साल बाद ये दो दिग्गज 2017 ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में आमने-सामने हुए। और पहली बार फेडरर ने ग्रैंड स्लैम फाइनल में नडाल को मात देकर अपनी श्रेष्ठता एक बार फिर साबित की। 2017 तक फेडरर के नाम 17 ग्रैंड स्लैम थे लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनके खिताब जीतने की रफ्तार धीमी पड़ती गई।
इस बीच फेडरर-नडाल प्रतिद्वंद्विता में त्रिकोण बना जब नोवाक जोकोविच भी इसमें शामिल हो गए, जिनके खेल में सिर्फ ‘कमी’ की कमी थी। यानी परफेक्ट। जोकोविच ने फेडरर को कई बार हराया। जोको के खिलाफ फेडरर मैच पॉइंट पर होने के बावजूद उस मैच को खत्म नहीं कर सके। अचानक टेनिस में GOAT (ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम) को लेकर बहस होने लगी। इसके साथ ही फेडरर की श्रेष्ठता को लेकर सवाल खड़े होने लगे। हालांकि 2018 में उन्होंने अपना 18वां और 19वां खिताब जीता। इसके बाद उन्होंने 20वां ग्रैंड स्लैम भी जीता, लेकिन जोकोविच और नडाल ने क्रमश: 21 और 22 ग्रैंड स्लैम अपने नाम कर उन्हें फिर पीछे छोड़ दिया।
खिलाड़ी नहीं, कलाकार
ग्रैंड स्लैम खिताब के मामले में भले ही नडाल और जोकोविच रोजर से आगे निकल गए, लेकिन जब भी दर्शकों को चरम सुख देने वाली इस तिकड़ी की चर्चा होगी तो सबसे पहले नाम रोजर का ही लिया जाएगा। क्योंकि रोजर महज एक खिलाड़ी नहीं रह गए थे। वह टेनिस के पारंगत कलाकार हो चुके थे। जैसे कोई कलाकार अपनी प्रस्तुति देने मंच पर आता है, उसी तरह फेडरर भी कोर्ट पर खेलने से ज्यादा अपनी प्रस्तुति देने आते थे। दर्शक उनकी प्रस्तुति देखने के लिए इकट्ठा होते थे। रोजर ने अपनी प्रस्तुति दे दी है। पर्दा गिर चुका है और एक हॉलनुमा इस दुनिया के कोने-कोने में बैठे दर्शक तालियां बजाते नहीं थक रहे।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स