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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 13 May 2023 1:03 pm IST


इमरान खान तो जेल गए, पाकिस्तान में अब क्या होगा?


पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया और पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी हो चुकी है और नतीजे के तौर पर कराची से क्वेटा तक पाकिस्तान जल रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आगे की पटकथा कौन लिखेगा? पाकिस्तान की सेना या जनता? यदि जनता ने लिखा तो पाकिस्तान सेना के ‘इतिहास का अंत’ हो जाएगा और ऐसा वह किसी कीमत पर होने नहीं देगी। तो क्या पाकिस्तान एक फिर मार्शल लॉ की गिरफ्त में होगा?

पहले समझते हैं इमरान की गिरफ्तारी से जुड़ी गुत्थियां।

इमरान खान की मंगलवार को हुई गिरफ्तारी नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (नैब) द्वारा 1 मई को जारी किए गए वॉरंट के तहत हुई है, जिसमें उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।

यह गिरफ्तारी अल कादिर ट्रस्ट मामले में हुई है, जिसके ट्रस्टी इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी हैं।

अल कादिर ट्रस्ट मामला तत्कालीन इमरान खान सरकार में एक रियल एस्टेट कारोबारी के साथ हुए समझौते से जुड़ा है, जिससे सरकारी खजाने को करीब 19 करोड़ पाउंड की क्षति हुई।

इमरान खान के खिलाफ यह अकेला मामला नहीं है। अपदस्थ होने के बाद से उन पर सवा सौ के आसपास मुकदमे दर्ज हुए हैं जिनमें भ्रष्टाचार, राजद्रोह, आतंकवाद, ईशनिंदा जैसे आरोप भी शामिल हैं। ये मुकदमे उन्हें जेल पहुंचाने के लिए ही नहीं, राजनीति से बाहर करने के लिए भी पर्याप्त हैं।

यह बात इमरान को भी मालूम है। तभी उन्होंने इस्लामाबाद हाई कोर्ट जाने से ठीक पहले एक विडियो रेकॉर्ड किया, जिसे उनकी पार्टी ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया। इसमें इमरान कह रहे हैं, ‘जब मेरी बातें आप तक पहुंचेंगी, तब तक एक निराधार मामले में मुझे गिरफ्तार किया जा चुका होगा। इससे पता चलता है कि देश में मौलिक अधिकारों और लोकतंत्र को दफन कर दिया गया है। यह इसलिए किया जा रहा है कि क्योंकि वे चाहते हैं मैं उस भ्रष्ट, आयातित सरकार को स्वीकार कर लूं, जो हम पर थोपी गई है।’ वह विडियो में पाकिस्तान के लोगों से पूछ रहे हैं कि क्या आप लोग तैयार हैं?

शायद वह विडियो के जरिये जो मकसद पूरा करना चाहते थे, उसमें सफल भी हो गए, लेकिन पाकिस्तान अराजकता के दलदल में और गहरे धंस गया।
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि जो राष्ट्र दिवालिया होने की स्थिति में पहुंच गया हो, जहां विदेशी आयात हेतु भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा भंडार शून्य के करीब पहुंच रहा हो, जिसके राजनेता अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अपने समधर्मी राष्ट्रों के आगे झोली फैलाए घूम रहे हों, उसे सिर्फ इस बात पर अराजकता की आग में झोंक दिया जाए कि किसे सत्ता में रहना है और किसे उससे बाहर रखना है!
 हालांकि पाकिस्तान के लिए यह कोई नई बात नहीं है। उसी देश में जुल्फिकार अली भुट्टो जैसे नेता भी हुए जिन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि हम घास की रोटी खाएंगे, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएंगे। दुनिया देख सकती है कि आज पाकिस्तान घास खाने जैसी ही स्थिति में है।
डीप स्टेट की ताकत

हालांकि, आज की तारीख में इमरान खान पाकिस्तान के अंदर लोकप्रियता में सबसे आगे हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह पाकिस्तान की नजीर और व्यवस्था बदल देंगे।

सच तो यह है कि आज इमरान खान उतने ही कमजोर हैं जितने 2018 में मियां नवाज शरीफ थे। इमरान शायद भूल रहे हैं कि इस्लामाबाद का पॉलिटिकल इस्टैब्लिशमेंट रावलपिंडी के डीप स्टेट के मुकाबले कुछ भी नहीं।
 इसलिए उनकी गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को जो कुछ पाकिस्तान में हुआ, पहली नजर में उसे देखकर लग सकता है कि पाकिस्तान की जनता रावलपिंडी को चुनौती देने में सफल हुई। लेकिन यह मुकम्मल तस्वीर नहीं है। इसके दूसरे हिस्से में सेना का वह रूप भी हो सकता है, जो चीन के थ्येन आन मन स्क्वायर पर रेड आर्मी का था या वह जो पाकिस्तान में अयूब खान से लेकर मुशर्रफ तक रहा।
आगे क्या होगा

फिर भी अभी इमरान खान को लग रहा है कि अपार लोकप्रियता के कारण पाकिस्तान के अंदर कोई उनका रास्ता नहीं रोक सकता। सरकार भी इस स्थिति को समझ रही है। इसलिए वह भी बैकफुट पर है।

यदि यह मान लिया जाए कि अगला चुनाव जीतकर इमरान खान प्रधानमंत्री बन जाते हैं, तब भी क्या वह सेना से निरंतर टकराव के बीच सत्ता चला पाएंगे? बिल्कुल नहीं।
इमरान अभी शायद इस भ्रम में हैं कि राजनीतिक तंत्र सैन्य तंत्र पर हावी हो जाएगा या उसे कमजोर कर देगा। ऐसा है तो उन्हें जिन्ना के उस पाकिस्तान की समझ ही नहीं है, जो 75 वर्षों के इतिहास में लगभग आधे समय तक सेना के बूटों के नीचे रहा और शेष समय में सेना के गाइडेंस व चरमपंथियों के प्रभाव में। इमरान खान का निरंतर सेना पर हमला उन्हें लोकप्रिय तो बना रहा है, लेकिन ताकतवर नहीं।
याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान की न्यायपालिका वहां सैन्य तख्तापलट को सफल क्रांति तक का दर्जा दे चुकी है। ऐसे में इस बात की संभावना अधिक है कि इमरान खान अब लंबे समय तक जेल में रहेंगे।
सरकार और सेना अगला चुनाव उन्हें जेल में रखकर ही करवाएगी। ठीक वैसे ही जैसे वर्ष 2018 में नवाज शरीफ को जेल में रखकर चुनाव कराए गए थे।
दो संभावनाएं

बहरहाल पाकिस्तान इस वक्त जिस राजनीतिक, आर्थिक और संवैधानिक संकट से गुजर रहा है, उसे देखते हुए वहां दो ही संभावनाएं हैं। पाकिस्तान या तो गृहयुद्ध की आग में झुलसेगा या फौजी बूटों के नीचे कुचला जाएगा। इमरान खान तो इसे समझने से रहे। देखना यह है कि पाकिस्तानी जनता इसे समझ पाती है या नहीं।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स