आज देश सहित विश्वभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है । वही दूर दूर से लोग भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग में जल व दूध चढ़ाने पहुंच रहे है । क्योंकि भारत में शिवलिंग के प्रति लोगो की आस्था देखने योग्य है। लेकिन क्या आप जानते है विश्व भर में पूजे जाने वाली ‘शिवलिंग’ पहली बार कब और कहा उत्तपन्न हुई थी। इसके पीछे की कहानी क्या है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस ब्रह्मांड के सृष्टि बनने से पहले पृथ्वी एक अंतहीन शक्ति थी। सृष्टि बनने के बाद भगवान विष्णु पैदा हुए और भगवान विष्णु की नाभि से पैदा हुए भगवान ब्रह्मा। आपको बता दें,कि पृथ्वी पर पैदा होने के बाद कई सालों तक भगवान विष्णु और ब्रह्मा में युद्ध होता रहा है। बजह थी दोनों का आपस में एक दूसरे को ज्यादा शक्तिशाली मानना।
युध्द के देखते हुए आकाश में एक चमकता हुआ पत्थर दिखा और आकाशवाणी हुई कि जो इस पत्थर का अंत ढूंढ लेगा, उसे ही ज्यादा शक्तिशाली माना जाएगा।
गौर करने वाली बात यह है कि यह पत्थर कोई मामूली पत्थर नहीं था बल्कि ये पत्थर भगवान शिव प्रतिमाविहीन चिह्न ‘शिवलिंग’ था।
वहीं जब पत्थर का अंत ढूंढने के लिए भगवान विष्णु नीचे की ओर गए और भगवान ब्रह्मा ऊपर की ओर चले। हजारों सालों तक दोनों इस पत्थर का अंत ढूंढते रहे। लेकिन किसी को अंत नहीं मिला। भगवान विष्णु ने हाथ जोड़कर कहा कि हे प्रभु आप ही ज्यादा शक्तिशाली हैं। इस पत्थर का कोई अंत नहीं मिला। ब्रह्मा को भी इस पत्थर का अंत नहीं मिला। लेकिन ब्रह्मा ने सोचा कि अगर वो कहेंगे कि उन्हें भी अंत नहीं मिला तो विष्णु को ज्यादा ज्ञानी समझा जाएगा। इसलिए ब्रह्मा ने कहा कि उन्हें इस पत्थर का अंत मिल गया है।
तभी आकाशवाणी हुई मैं शिवलिंग हूं और न ही मेरा कोई अंत हैं और न ही कोई शुरुआत। तभी उस शिवलिंग से भगवान शिवजी प्रकट हुए और इसी तरह भगवान शिव और उनकी प्रतिमाविहीन चिह्न ‘शिवलिंग’ संसार में उत्पन्न हुए ।