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• Sun, 28 Feb 2021 4:27 pm IST


मैं हिंदू हूं, और मैं यही मानती हूं


मैं एक हिंदू हूं और एक हिंदू होने के नाते मेरी कुछ जीवन यातनाए है । जिसमें में सुबह उठती , पूजा करती हूं और मंदिर जाने में विश्वास रखती हूं  और मंदिर में स्थापित मूर्तियों में विश्वास रखती हूं । एक ऐसा विश्वास जिसे कोई मिटा नहीं सकता । मैं ये नहीं सोचती कि मंदिर में स्थापित मूर्ति वाकई भगवान का प्रतिनिधित्व करती है या नहीं । मेरा विश्वास कभी डगमगाता नहीं है , क्योंकि वो अटूट है । मैं हिंदू हूं, और मैं यही मानती हूं

एक हिंदू होने के नाते मुझे मेरे धर्म ने बहुत कुछ सिखाया है । मुझे सिखाया गया है कि कैसे धर्म के मार्ग पर चलने के साथ ही मुझे अपनो कर्म पर भी नियंत्रण रखना चाहिए । 

मेरे धर्म में लगभग 84 लाख देवी देवता है और मेरा उन सभी में विश्वास है  । मैं ये नहीं जानती की कौन अधिक बलवान है ? लिहाज़ा सर सबके सामने झुकाती हूं । क्योंकि मैं मानती हूं कि नाम भले ही अनेक हो लेकिन भगवान तो एक ही है । 

मेरे धर्म में कई पवित्र ग्रंथ हैं , वहीं चार वेद भी हैं , और इन प्रत्येक वेदो का अपना विषय है। कुछ में भजन, अनुष्ठान और प्रार्थनाएं हैं जिनका उपयोग हिंदू पुजारी करते हैं। अन्य लोग ध्यान, रहस्यमय शिक्षा, यहां तक कि सृजन के सिद्धांत भी देते हैं। वहीं विश्व का सबसे पवित्र ग्रंथ ‘भगवद गीता’  मेरे ही धर्म में लिखा गया है । आपको बताना चाहूंगी कि ‘भगवद गीता’  मानव जीवन से संबंधित ज्ञान का एक संकलन है, सागर है। जो हम सबको जीवन जीने की सच्ची प्रेरणा देता है। और हमें धर्म और अधर्म के बारे में विस्तार से बतलाता है।

वहीं अपने धर्म को मानने के अलावा में दूसरे धर्मो में भी विश्वास रखती हूं , क्योंकि मेरा धर्म कहता है कि किसी का धर्म छोटा नहीं होता । मैं मंदिर में माता को चुनरी भी ओढ़ाती हूं तो दरगाह में  चादर भी चढ़ाती हूं । जी हां मैं हिंदू हूं, और मैं यही मानती हूं । 

अंत मे बस यही कहना चाहुगी कि मैंने हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर देखा है । मैंने देखा है कि कैसे जन्म के बाद एक बच्चे का मुंडन गंगा किनारे किया जाता है । साथ ही मैने यह भी देखा है कि एक व्यक्ति के मरने के बाद उसकी अस्थियों को विसर्जन भी गंगा किनारे ही किया जाता है । मैं एक ऐसे धर्म में जन्मी हूं जहां जन्म और मृत्यु का सफर आपस में ही जुड़ा है । जो कि गंगा किनारे पर शुरू होता है और खत्म भी उसी किनारे पर हो जाता है । जीं हा में एक हिंदू हूं और मैं यही मानती हूं ।