दुनियाभर में आज (28 मई) ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2024’ (Menstrual Hygiene Day 2024) को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस विषय से जुड़े कुछ आर्टिकल पढ़ने की इच्छा हुई तो मैंने गूगल किया। तभी अचानक मेरी नजर महाराष्ट्र की एक साल पुरानी खबर पर गई। जहां मई के ही महीने में कथित तौर पर एक भाई ने अपनी 12 साल की बहन की हत्या कर दी थी। इस घटना ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। अब आप सोच रहे होंगे कि इस खबर का मासिक धर्म से क्या लेना देना है? रिपोर्ट्स की माने तो भाई ने बहन के कपड़ों पर माहवारी के दाग देखें. छोटी बहन ने लाख समझानेचांद को फतह करने वाले इस देश में आज भी महिलाओं की माहवारी पर खुलकर बात करने में लोगों को शर्म आती है। आंकड़ों की मानें तो भारत में 350 मिलियन से अधिक महिलाएं हैं और यह उन महिलाओं की संख्या है जो हर महीने मासिक धर्म के चक्र से गुजरती हैं। यह वो दौर है, जब देशभर में महिला स्वास्थ्य को लेकर हजारों की संख्या में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं जागरूकता अभियान चला रही हैं। इसके बावजूद भी बाजार से सेनेटरी पैड लाते हुए, उसे अखबार से छुपाने की जरूरत पड़ती है। माहवारी के दिनों में कई घरों में औरतों को किचन में जाने की मनाही होती है। वहीं कई जगहों पर कुछ अलग तरीके के प्रतिबंध होते हैं. ऐसे में महाराष्ट्र की खबर हमें सीख देती है कि केवल महिलाओं की जागरूकता भर से काम नहीं चलेगा। वास्तव में इस अभियान को सफल बनाना है तो पुरुषों को भी जागरूक करना होगा।
इसी पहल को आगे बढ़ाने के लिए रेजिडेंट कमिश्नर सिक्किम हाउस, आईपीएस अधिकारी अश्वनी कुमार चांद ने दिल्ली में यश्वी एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सिरकत की, जहां उन्होंने महिला स्वास्थ्य को लेकर अपनी बात रखी. इस कार्यक्रम में भारती चांद (एजुकेटर) और जेएनयू के प्रोफेसर मनोज शर्मा भी शामिल हुए। यश्वी एजुकेशन फाउंडेशन की डायरेक्टर और दिल्ली की जानी-मानी सोशल वर्कर प्रीति शर्मा कहती हैं कि हमारा उद्देश्य महिलाओं में सिर्फ सैनिटरी पैड बांटना या महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में बताने का नहीं है. बल्कि हमारा उद्देश्य तब पूरा होगा जब लोग मासिक धर्म के बारे में खुलकर सार्थक तरीके से बात करेंगे। हम यह बताना चाहते हैं कि माहवारी कोई शर्म की बात नहीं है बल्कि यह प्राकृतिक है।
लंबे अरसे से प्रीति शर्मा महिला स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं। उनके इस पहल में आकर्ष, हौशला प्रसाद, रिकित, निशका और शिवम जैसे कई दिल्ली विश्वविद्यालय के होनहार युवा उनकी सहायता करते हैं. जब बात महिला स्वास्थ्य की हो रही है, तब आपने यह जरूर सोचा होगा कि क्यों ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ हर साल 28 मई को ही मनाया जाता है? इस सवाल के जवाब में प्रीति शर्मा बताती हैं कि महिलाओं में माहवारी चक्र 28 दिन का होता है जो करीब 5 दिनों तक बरकरार रहता है। इसी वजह से ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ साल के 5वें महीने यानी मई में 28 तारीख को मनाया जाता है। की कोशिश की, कि यह उसके पहले मासिक धर्म की शुरुआत है लेकिन भाई ने इसे यौन संबंध का संकेत माना और बहन को प्रताड़ित करते हुए, उसका कत्ल कर दिया था।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स