रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने सोमवार को कहा कि मुद्रास्फीति पर मौद्रिक नीति के सख्त होने का असर पांच से छह तिमाहियों के बाद महसूस किया जाएगा।
बता दें कि सरकार की ओर से दिए गए लक्ष्य के अनुसार केंद्रीय बैंक के लिए मुद्रास्फीति को अधिकतम चार प्रतिशत और न्यूनतम दो प्रतिशत के भीतर बनाए रखना अनिवार्य है। बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई ने 30 सितंबर को रेपो रेट में इजाफा कर इसे 5.9 प्रतिशत कर दिया है। उस दौरान लगातार तीसरी बार अल्पकालिक ऋण दर में 50 बीपीएस की वृद्धि की गई।मई के बाद से आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दर में 190 बीपीएस की वृद्धि की है। उन्होंने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह (मुद्रास्फीति) नीचे आएगी। क्योंकि हमने मौद्रिक नीति को कड़ा किया है। उन्होंने एक टेलीफोनिक साक्षात्कार में मीडिया से कहा, "मौद्रिक नीति में सख्ती का असर होगा। कीमतों पर इसका प्रभाव दिखने में पांच से छह तिमाहियों का समय लगता है।