उत्तराखंड की वित्तीय समीक्षा की रिपोर्ट की मानें तो सिर से पांव तक कर्जे मे डूबे हैं प्रदेशवासी – इस स्थिती मे लोग कैसे स्थिर हैं ? मौन की परत से परिस्थिती पर प्रश्न जनता क्यों दबाए हुए हैं? कहीं ऐसा तो नही की आप जानते ही नही की प्रदेश के उपर चढा कर्ज का आंकड़ा एक लाख करोड़ पार करने को पहुंच गया है ? देखिए अगर ऐसा है फिर तो आपके लिए ये रिपोर्ट आखिर तक देखना जरुरी हो जाती है – मालूम तो चले प्रजा को की प्रदेश का पर व्यक्ति उधार का कितना भार अपने कंधों पर लेकर चल रहा है ?