भारतीय सेना मेक-2 के तहत 43 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि, इनमें से 22 इस समय प्रोटोटाइप विकास के चरण में हैं।
जानकारी के मुताबिक, इन प्रोजेक्ट्स का 66 प्रतिशत यानी 27 हजार करोड़ में से 18 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहा है। बताया जा रहा है कि, मेक-2 के 17 प्रोजेक्ट खुद उद्योगों से मिले प्रस्तावों पर शुरू किए गए हैं। जिससे भारतीय रक्षा उद्योगों का उत्साह बढ़ा है, वे मेक-प्रोसिजर में शामिल होने में पूरा आत्मविश्वास दर्शा रहे हैं। मेक-2 के जरिए उन रक्षा तकनीकों पर काम हो रहा है, जिन्हें बेहद उच्च स्तरीय माना जाता है। हालांकि, अभी ये भारत में उपलब्ध नहीं है।
इन्हें विभिन्न हथियार प्रणालियों, गोला-बारूद और प्रशिक्षण प्रणालियों में उपयोग किया जा सकता है। इसके अंतर्गत ड्रोन किलर सिस्टम, मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम, हाई-फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो, 155एमएम टर्मिनली गाइडेड म्यूनिशन को अपनाया जाएगा।
इसका उपयोग युवा सैनिकों की विभिन्न किस्म के हथियारों से निशाना लगाने की क्षमता सुधारने में होगा। आईटीडब्ल्यूएस को आधुनिक प्रशिक्षण सहयोगी की तरह देखा जाता है। यह सैनिकों के प्रशिक्षण में गोलियों और हथियारों के खर्च को सीमित करेगा, हादसों की आशंका भी घटेगी। इसमें एक साथ 10 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है।