बागेश्वर : जंगलों में लगने वाली आग बुझाने के लिए विभागीय कर्मचारी अब भी पारंपरिक संसाधनों के भरोसे हैं। इतना ही नहीं, कई घंटे तक जंगलों में आग बुझाने वाले कर्मचारियों को अपने पेट की आग बुझाने के लिए गुड़ और चने के भरोसे रहना होता है। वन विभाग ने इस बार माडल क्रू-स्टेशन बनाने के साथ यहां गुड़ व चने की व्यवस्था की है।
झाड़ियों से पीट-पीट कर बुझाते हैं। भीषण आग लगने पर यह तरीका काम नहीं करता। इसके बाद विभाग को इंद्रदेव के भरोसे रहता है। जंगलों को आग से बचाने के लिए विभाग ने पहली बार माडल क्रू-स्टेशन का जौलकांडे में निर्माण किया है। हालांकि अभी इसका शुभारंभ नहीं हो सका है। क्रू-स्टेशन में वन कर्मी और फायर वाचर तैनात रहते हैं। रेंजर श्याम सिंह करायत ने कहा कि वनों की आग में सबसे महत्वपूर्ण स्थान सूचना का होता है। आग लगने की सूचना जितनी जल्दी मिलती है, वन विभाग की टीम उतनी जल्दी मौके पर पहुंचकर नुकसान को कम कर देती है। उन्होंने बताया कि कई बार कर्मचारी दिनभर जंगल में रहते हैं। खाने पीने की व्यवस्था करना मुश्किल होता है। इसलिए सभी क्रू-स्टेशनों पर गुड़ चने की व्यवस्था की गई है। लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारी इसी से अपनी भूख मिटाते हैं।