देश में कुल भूस्खलन के मामलों में उत्तर-पश्चिम हिमालय का योगदान 66.5 फीसदी है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में भूस्खलन की घटनाओं से एक्सपर्ट भी चिंतित हैं। राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से जारी भूस्खलन एटलस में उत्तर-पश्चिम हिमालयी क्षेत्र को भूस्खलन से अधिक प्रभावित माना गया है।
उत्तर पूर्व हिमालय क्षेत्र का योगदान 18.8 फीसदी और पश्चिमी घाट का हिस्सा 14.7 फीसदी है। यह डेटाबेस हिमालय और पश्चिमी भारत के 17 राज्यों, 02 केंद्र शासित प्रदेशों के सभी 147 जिलों में भूस्खलन की घटनाओं पर आधारित है।
भूस्खलन एटलस में भूस्खलन के कारणों को जानने के लिए सेटेलाइट डेटा व उन्नत उपकरणों की मदद ली गई है। इसमें पाया गया है कि भूस्खलन का कारण लिथो टेक्टोनिक नियंत्रण, भूकंप की घटनाएं, वर्षण व तीव्र ढाल जिम्मेदार है। भूस्खलन मानचित्रण के लिए प्री, पोस्ट मानसून सीजन व मानसूनी बारिश से हुई घटनाओं को लिया गया है।
एटलस में 1998 से 2022 के अवधि की भूस्खलन से जुड़ी अस्सी हजार से अधिक घटनाओं की पड़ताल की गई। रिपोर्ट में हिमालयी क्षेत्र में 30 से 45 डिग्री ढाल व 750 से एक हजार मिमी सालाना बारिश को भूस्खलन का कारण माना गया है।