उत्तरकाशी: यमुनोत्री धाम में सरकारी सिस्टम की लापरवाही हादसे को न्योता दे रही है। आलम ये है कि यमुना नदी तट पर धाम में स्नान घाट नहीं होने से तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर नदी तट पर जाकर बड़े बोल्डरों व पत्थरों के सहारे डुबकी लगाने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार ने प्रसादम योजना के तहत यमुनोत्री धाम के विकास के लिए 35 करोड़ स्वीकृत कर ब्रिडकुल को काम की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन सालभर पहले हुए टेंडर प्रक्रिया होने पर भी अभी तक काम करने के नाम पर एक पत्थर तक नहीं लगाया गया है। बल्कि बजट को ठिकाने लगाने की नियत से पैदल मार्ग पर सोलर लाइट लगाने का काम किया जा रहा है, जबकि मार्ग पर पहले से ऊर्जा निगम की लाइटें लगी हुई हैं। वहीं धाम में तीर्थयात्रियों के लिए जरूरी अवस्थापना विकास के काम नहीं हो रहे हैं। वर्तमान समय में चारधाम यात्रा के लिए धाम में स्नान घाटों की जरूरत है, लेकिन यहां घाट के नाम पर कुछ भी काम नहीं हुए हैं।