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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 2 Oct 2022 6:00 am IST

नेशनल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नाबालिग हो या बालिग, लड़कियों का नाम नहीं होगा उजागर


सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में आदेश दिया कि, गर्भपात कराने पहुंची नाबालिगों के नाम को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, डॉक्टरों को खास तौर पर निर्देश दिया गया है कि, गर्भपात कराने वाली नाबालिग लड़कियों के नाम का खुलासा स्थानीय पुलिस को बताने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी यानि एमटीपी अधिनियम के तहत आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने वाली नाबालिग लड़कियों के नाम का खुलासा न करने का आदेश दिया है। इस बड़े फैसले में शीर्ष कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को भी शामिल किया। जिन्हें 20-24 हफ्ते की अवधि में गर्भपात की इजाज़त दी। 

कोर्ट ने कहा कि, यह प्रावधान केवल विवाहित महिलाओं के लिए लागू करने पर अनुच्छेद 14 के तहत अविवाहितों के साथ भेदभाव का मसला होगा। साथ ही इसमें वैवाहिक दुष्कर्म वाले मामले में भी गर्भपात की छूट दी गई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एएस बोपन्ना और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि, धारा 3बी (बी) का विस्तार 18 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए किया गया है।
 
कोर्ट ने सलाह दी है कि, पॉक्सो अधिनियम और एमटीपी अधिनियम को विस्तार से पढ़ा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष तौर पर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच गर्भपात का अधिकार एक समान कर दिया। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली अविवाहित महिलाओं को बाहर करना असांविधानिक बताया।